दिल्ली की सांसें फंसी, फिर हुआ हवा में जहर का धमाका!

दिवाली की रात रोशनी से जगमगाती दिल्ली सुबह तक धुएँ के बादलों में लिपटी दिखी। पटाखों के प्रतिबंध के बावजूद, राजधानी की हवा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में जा पहुंची। क्या सिर्फ एक रात की दिवाली के पटाखे हवा को ऐसा बना सकते हैं, या यह सालभर की जमा-पूंजी का परिणाम है? चलिए, जानते हैं इस गंभीर मसले का सच!
दिल्ली के लोगों ने एक बार फिर दिवाली की सुबह जहरीली हवा में सांस ली। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े बताते हैं कि PM2.5 का स्तर 209.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सीमा से 14 गुना अधिक है।
पटाखों पर बैन, फिर भी फूटी खामोशी!
दिल्लीवासियों, संभल जाइए! आनंद विहार में AQI 395, अया नगर में 352, जहांगीरपुरी में 390, और द्वारका में 376 तक जा पहुंचा। इन आंकड़ों ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि यह हवा बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है।
दिल्ली सरकार ने पहले ही दीवाली पर पटाखे जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया था। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने निवासियों से दीये जलाने और पटाखों से बचने की गुजारिश की थी। उन्होंने कहा था, “दिवाली की रात हमारे लिए निर्णायक है। बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए पटाखों से बचें।“
लेकिन ऐसा लगता है कि दीवाली की खुशियों में लोग यह अपील भूल गए। पटाखों की गूंज और धुएँ ने हवा को जहरीला बना दिया। हालांकि, क्या वाकई सिर्फ एक रात के पटाखे ही इतने बड़े प्रदूषण का कारण बन सकते हैं?
सच क्या है? सिर्फ दीवाली जिम्मेदार है?
यह सच है कि दिवाली पर पटाखों का जलना प्रदूषण बढ़ाता है। लेकिन दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या केवल दीवाली तक सीमित नहीं है। सालभर दिल्ली की हवा में जहर घोलने वाले प्रमुख कारण हैं:
- वाहनों से निकलने वाला धुआँ: दिल्ली की सड़कों पर लाखों गाड़ियाँ दौड़ती हैं, जो प्रदूषण की एक बड़ी वजह हैं।
- औद्योगिक उत्सर्जन: शहर के आसपास की फैक्ट्रियाँ और कंस्ट्रक्शन का धुआँ भी प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है।
- पराली जलाना: हर साल दिवाली के आसपास, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से धुएँ की चादर दिल्ली को घेर लेती है।
सच: “पटाखे एक रात जलते हैं, पर धुआँ तो पूरे साल उठता है।”
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दिल्ली सरकार के कदम: हवा में सुधार या बस दिखावा?
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं। गोपल राय ने कहा, “पुलिस रात में गश्त करेगी और पटाखों की बिक्री पर नजर रखेगी।” इसके बावजूद, पटाखे फूटे और हवा खराब हो गई।
पर सवाल यह है कि क्या सिर्फ दीवाली पर पटाखे जलाना रोकना ही काफी है? जब सड़कों पर ट्रैफिक धुआँ उड़ाता है, और फैक्ट्रियाँ अपनी मनमानी करती हैं, तब क्यों नहीं होती इतनी चर्चा?
आगे क्या? समाधान क्या है?
दिवाली का ठीकरा फोड़ने से बेहतर है कि हम सालभर प्रदूषण के असली कारणों को पहचानें। हमें चाहिए कि:
- ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल बढ़े।
- सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दें और गाड़ियों का इस्तेमाल कम करें।
- फैक्ट्रियों और कंस्ट्रक्शन से निकलने वाले धुएँ पर सख्त नियंत्रण रखें।
- पराली जलाने के लिए किसानों को वैकल्पिक समाधान मुहैया कराएं।
“भाई, दिल्ली की हवा तो पहले ही तगड़ी टॉक्सिक है, पटाखे तो बस उस पर icing on the cake हैं!“
जनता की जिम्मेदारी: सिर्फ दीवाली नहीं, हर दिन करें प्रयास
दिल्ली की हवा को साफ रखना केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। हर नागरिक को समझना होगा कि पर्यावरण की रक्षा हमारी भी ज़िम्मेदारी है। पटाखे न चलाना एक शुरुआत हो सकती है, पर असली बदलाव तब आएगा जब हम सालभर पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प लेंगे।
तो अगली बार जब कोई आपको कहे कि दीवाली की वजह से हवा खराब हुई, तो उनसे पूछिए, “भाई, और बाकी 364 दिन क्या, प्रदूषण की छुट्टी थी?” दीवाली खुशी और प्रकाश का पर्व है, इसे दोष देने के बजाय हमें प्रदूषण के हर स्रोत पर काम करना होगा। चलो, हवा को मिलकर सुधारें, एक रात नहीं, पूरे साल!
26/11 मुंबई हमलों पर एस जयशंकर की दो-टूक: अब अगर हमला हुआ, तो जवाब जरूर मिलेगा!

2008 में हुए 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद की भारतीय सरकार की प्रतिक्रिया पर केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कड़े शब्दों में अपना पक्ष रखा है। जयशंकर का कहना है कि अगर आज वैसा हमला होता, तो इसका जवाब जरूर दिया जाता। उन्होंने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि 2008 में हमलों के बाद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, और यह एक बड़ी गलती थी। लेकिन अब भारत आतंकवाद से निपटने में पूरी तरह सक्षम है।
26/11 के मुंबई हमले भारत के इतिहास में एक काला दिन है। 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किया गया यह हमला भारत पर हुआ सबसे बुरा आतंकी हमला था, जिसमें 166 लोगों की जान गई और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए। इस हमले के बाद कई सवाल उठे थे कि क्या भारत ने सही समय पर सही कदम उठाए।
जयशंकर का बयान
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि 2008 के हमलों के बाद भारत ने कोई जवाब नहीं दिया, और यह एक भारी चूक थी। जयशंकर के अनुसार, “अगर आज ऐसा हमला होता, तो हम चुप नहीं बैठते। अब अगर कोई हमारे खिलाफ आतंकी हमला करता है, तो उसे मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।”
उन्होंने आगे कहा कि 2008 के हमले के बाद उस समय की सरकार ने कई बैठकें कीं, लेकिन अंत में कुछ नहीं किया गया। कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए जयशंकर ने कहा कि “हमने बहस की, सारे विकल्प देखे और अंत में निर्णय लिया कि हम कुछ नहीं करेंगे।”
पाकिस्तान पर निशाना
जयशंकर ने पाकिस्तान को भी सीधे-सीधे आतंकवाद का समर्थन करने वाला देश बताया। उनका कहना था कि पाकिस्तान ने हमेशा से आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है, और भारत को इससे निपटने के लिए अधिक कड़ा रुख अपनाना होगा।
जयशंकर के अनुसार, “हमारे पड़ोस में एक देश है जो लगातार आतंकवाद को समर्थन देता है। अगर हमने शुरुआत से ही यह स्पष्ट किया होता कि आतंकवाद किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, तो शायद तस्वीर कुछ और होती।”
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26/11 हमले की यादें
26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई पर चार प्रमुख जगहों पर हमले किए थे – ताज महल होटल, ओबेरॉय होटल, नरीमन हाउस और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस। इन हमलों में निर्दोष लोग मारे गए थे, और पूरे देश में दहशत का माहौल बन गया था।
इन हमलों में सबसे खतरनाक बात यह थी कि ये आतंकी समुद्री रास्ते से आए थे और उन्होंने मुंबई पर कब्जा करने की योजना बनाई थी।
आज की परिस्थिति
जयशंकर का कहना है कि अब भारत की नीति पूरी तरह से बदल गई है। आज अगर कोई हमला होता है, तो भारत तुरंत कार्रवाई करेगा, जैसा कि उरी और पुलवामा हमलों के बाद किया गया। जयशंकर ने कहा कि अब आतंकवादियों को यह सोचना भी नहीं चाहिए कि वे भारतीय सीमा के बाहर हैं, तो उन्हें छूआ नहीं जा सकता।
जयशंकर के इस बयान ने एक बार फिर से 26/11 हमलों की यादें ताजा कर दी हैं और इस पर सरकार की पिछली नीतियों पर सवाल खड़ा कर दिया है। भारत अब आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहा है, और जयशंकर का यह बयान दिखाता है कि भारत अब चुप नहीं रहेगा।
अमेरिका ने लौटाया भारतीय प्रवासियों का पूरा जहाज! टिकट तो फ्री थी, पर वापसी का दर्द महंगा!

अमेरिका ने हाल ही में अवैध भारतीय प्रवासियों पर शिकंजा कसते हुए एक चार्टर्ड फ्लाइट में उन्हें भारत वापस भेज दिया। 200 से अधिक भारतीय नागरिक, जो बिना वैध दस्तावेजों के अमेरिका में रह रहे थे, अब अपने घर वापस आ चुके हैं।
यह कदम अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) द्वारा उठाया गया, जो अवैध प्रवासियों और मानव तस्करी को रोकने के लिए लगातार सख्त कदम उठा रहा है। भारतीयों की बड़ी संख्या में वापसी इस बात का संकेत है कि अमेरिका अब और बर्दाश्त नहीं करेगा।
यह खबर खासकर उन भारतीयों के लिए एक बड़ा झटका है जो ‘अमेरिकन ड्रीम’ को साकार करने की उम्मीद में अवैध तरीके से वहां पहुंचते हैं।
सोशल मीडिया का मजेदार रिएक्शन
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर खूब मजाक बनाए जा रहे हैं। कोई कह रहा है, “भाई, अमेरिका का टिकट तो फ्री मिल गया, पर वापसी का प्लान बना था क्या?” वहीं, कुछ लोग तंज कसते हुए लिख रहे हैं, “अमेरिका में रहना था पर अब गांव का रास्ता पकड़ लिया।
क्या है अवैध प्रवासियों का सच?
अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हजारों भारतीय हर साल गैरकानूनी तरीके से अमेरिका पहुंचते हैं। कई लोग मेक्सिको के रास्ते से भी अमेरिका में दाखिल होने की कोशिश करते हैं, जहां उन्हें भारी जोखिम का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस बार अमेरिकी प्रशासन का सख्त रुख साफ बता रहा है कि अब यह खेल ज्यादा दिन नहीं चलेगा।
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सरकार की ओर से सख्त चेतावनी
अमेरिकी सरकार ने चेतावनी दी है कि अवैध तरीके से अमेरिका में घुसने वालों को न सिर्फ वापस भेजा जाएगा, बल्कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। अमेरिकी अधिकारियों ने साफ किया कि भविष्य में भी ऐसी कार्रवाई जारी रहेगी, और अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम किया जाएगा।
यह घटना अवैध तरीके से विदेश जाने की कोशिश करने वालों के लिए एक बड़ा सबक है। ‘अमेरिकन ड्रीम’ को साकार करने के चक्कर में लोग खुद को मुश्किल में डाल लेते हैं। अगर सही और वैध तरीके से विदेश जाने की योजना नहीं बनाई जाती, तो ऐसी वापसी की फ्लाइट से बच पाना मुश्किल है।
दिलजीत दोसांझ के कॉन्सर्ट का ‘टिकट घोटाला’: दिल्ली पुलिस ने किया खुलासा!

दिलजीत दोसांझ के दिल्ली कॉन्सर्ट को लेकर फैंस जितने उत्साहित थे, अब उतने ही चिंतित हो गए हैं। वजह? फर्जी टिकट घोटाला! दिलजीत दोसांझ का ‘दिल-लुमिनाती’ टूर सभी की आंखों का तारा बन चुका है, लेकिन इस बार कुछ ठगों ने इसका फायदा उठाते हुए फर्जी वेबसाइट्स और लिंक से टिकट बेचने का धंधा शुरू कर दिया। दिल्ली पुलिस ने खुद ट्वीट करके लोगों को सावधान किया है कि इन फर्जी टिकट्स से बचें, क्योंकि इनकी कोई वैधता नहीं है।
क्या है मामला?
दिलजीत दोसांझ के कॉन्सर्ट की टिकटों की भारी मांग को देखते हुए ठगों ने नकली टिकट लिंक और वेबसाइट्स बना लीं, जहां लोग असली समझकर टिकट बुक कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर फैंस ने शिकायत की कि उन्हें एक मेल या व्हाट्सएप पर लिंक भेजा गया, जहां से उन्होंने टिकट खरीदी, लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि वो नकली थी।
दिल्ली पुलिस की चेतावनी
दिल्ली पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और तुरंत चेतावनी जारी की है। उनका कहना है कि लोग केवल आधिकारिक वेबसाइट से ही टिकट बुक करें, ताकि ठगी से बचा जा सके। फर्जी टिकट लिंक की पहचान कर रही पुलिस ने बताया कि यह धोखाधड़ी का एक नया तरीका है और ऐसे में सावधानी रखना जरूरी है।
फैंस का क्या हाल?
फैंस का उत्साह अब चिंता में बदल गया है। जहां एक तरफ लोग दिलजीत दोसांझ के लाइव कॉन्सर्ट का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, वहीं अब यह घोटाला उनकी खुशियों पर पानी फेर रहा है। सोशल मीडिया पर लोग अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं, और एक यूजर ने तो यहां तक लिख दिया, “टिकट तो मिला, पर क्या हम कॉन्सर्ट में जाएंगे या फिर घर में बैठकर दिल टूटेगा?”
दिलजीत की प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले पर दिलजीत दोसांझ ने भी फैंस से अपील की है कि वे फर्जी वेबसाइट्स से बचें और सिर्फ आधिकारिक प्लेटफॉर्म से ही टिकट खरीदें। दिलजीत ने ट्वीट किया, “मेरे प्यारे फैंस, आपका प्यार अनमोल है, और मैं नहीं चाहता कि कोई धोखा खाए। कृपया सावधानी बरतें और ठगों से दूर रहें।”
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क्यों हो रहा है यह घोटाला?
दिलजीत दोसांझ की फैन फॉलोइंग इतनी जबरदस्त है कि उनके किसी भी इवेंट की टिकटें मिनटों में बिक जाती हैं। ऐसे में ठगों के लिए यह एक सुनहरा मौका बन जाता है, जहां वे लोगों की भावनाओं का फायदा उठाते हैं। टिकट की भारी मांग और सीमित उपलब्धता को देखते हुए लोग अक्सर जल्दबाजी में टिकट बुक कर लेते हैं, और यहीं से ठगी शुरू हो जाती है।
कैसे बचें ऐसे घोटालों से?
- सिर्फ आधिकारिक वेबसाइट से ही टिकट खरीदें।
- किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक करने से पहले उसे वेरिफाई करें।
- अगर कोई संदिग्ध लिंक मिले, तो तुरंत पुलिस को रिपोर्ट करें।
दिलजीत दोसांझ का ‘दिल-लुमिनाती’ टूर जितना रोमांचक होने वाला था, अब उतनी ही सावधानी की जरूरत है। फैंस को चाहिए कि वे इस घोटाले से बचें और अपने पैसे की सुरक्षा करें। टिकट तो मिल जाएगी, लेकिन धोखा न खाएं!
अगर रोज 90 दिन पी लिया ये 1 गिलास जूस तो लोग सेहत का राज पूछना कर देंगे शुरू

हर दिन सुबह का आगाज़ अगर चुकंदर के एक गिलास ताजे जूस से किया जाए, तो समझिए कि आपने सेहत को हर दिन एक नई ताकत दी है। चुकंदर, जो विटामिन C, फाइबर, फोलिक एसिड, आयरन, मैंगनीज और पोटेशियम से भरा है, हमारी सेहत पर कई चमत्कारी असर डालता है। यह न केवल शरीर को भीतर से मजबूत बनाता है, बल्कि बाहरी चमक भी बढ़ाता है। आइए जानते हैं कैसे:
BP पर लगेगा ब्रेक
हाई ब्लड प्रेशर आज के समय में हर उम्र के लोगों के लिए चिंता का कारण है। चुकंदर का जूस इस समस्या का प्राकृतिक समाधान है। इसमें मौजूद नाइट्रेट्स ब्लड वेसल्स को रिलैक्स करते हैं और इस तरह से ब्लड फ्लो में सुधार होता है। जब ब्लड वेसल्स खुल जाते हैं, तो ब्लड प्रेशर कम होता है और हार्ट की सेहत बेहतर होती है।
चुकंदर का जूस आपके दिल के लिए उतना ही फायदेमंद है जितना की किसी दवा का असर हो सकता है। रोजाना इसका सेवन करके आप ब्लड प्रेशर को काबू में रख सकते हैं। साथ ही, इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स की भरमार होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के साथ-साथ कई और रोगों से भी लड़ने की ताकत देती है।
बेहतर एनर्जी लेवल
चुकंदर का जूस पीकर दिन की शुरुआत करना आपकी एनर्जी लेवल को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है। इसमें मौजूद नाइट्रेट्स शरीर की मसल्स को ज्यादा ऑक्सीजन इस्तेमाल करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे थकान कम होती है और कसरत के दौरान शरीर अधिक समय तक एक्टिव रह पाता है।
यह जूस न सिर्फ़ आपके वर्कआउट को बेहतर बनाता है, बल्कि इसे पीने से फाइबर का भी लाभ मिलता है जो डाइजेशन को दुरुस्त रखता है। यानी, चुकंदर का जूस आपकी दिनभर की ऊर्जा का ऐसा स्रोत बन जाता है, जो न सिर्फ़ फिजिकल बल्कि मेंटल एनर्जी भी बूस्ट करता है।
वजन पर कंट्रोल
चुकंदर के जूस का एक बड़ा फायदा ये भी है कि इसमें कम कैलोरी और हाई फाइबर होता है। ये दोनों चीज़ें वेट लॉस में बहुत अहम भूमिका निभाती हैं। फाइबर का फायदा ये होता है कि ये पेट को भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे आपको बार-बार भूख नहीं लगती और आप ओवरईटिंग से बच जाते हैं।
साथ ही, इस जूस में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की सेहत में भी सुधार लाते हैं। वजन कम करने की सोच रहे हैं, तो इसे अपनी डाइट का हिस्सा बनाएं और फर्क खुद महसूस करें। यकीन मानिए, चुकंदर के इस जादुई जूस से न केवल आपकी कमर पतली होगी, बल्कि त्वचा पर भी एक अलग ही चमक आएगी।
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लिवर हेल्थ के लिए संजीवनी
लिवर हमारे शरीर का ऐसा अंग है, जो शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने का काम करता है। चुकंदर का जूस लिवर की सफाई में भी मदद करता है। इसमें नाइट्रेट्स के साथ-साथ ऐसे तत्व भी होते हैं, जो लिवर से विषैले पदार्थों को निकालते हैं और इसे स्वस्थ बनाते हैं।
सिर्फ लिवर ही नहीं, बल्कि यह जूस दिमाग के लिए भी फायदेमंद होता है। नाइट्रेट्स की मौजूदगी के कारण दिमाग तक ब्लड का फ्लो बढ़ता है, जिससे कंसंट्रेशन और याददाश्त में भी सुधार आता है। रोजाना एक गिलास चुकंदर का जूस पीकर आप लिवर और दिमाग दोनों को तंदुरुस्त रख सकते हैं।
दिल की सेहत को बनाए मजबूत
दिल की सेहत के लिए चुकंदर का जूस एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन और अर्थराइटिस जैसी समस्याओं में राहत दिलाते हैं। इसके साथ ही, इसमें मौजूद तत्व ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, जो हार्ट की हेल्थ के लिए बहुत जरूरी हैं।
रोज़ाना चुकंदर का जूस पीने से न केवल दिल स्वस्थ रहता है, बल्कि शरीर की अन्य बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ती है। इसमें मौजूद विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स के कारण यह जूस दिल को हेल्दी रखने के साथ-साथ ओवरऑल हेल्थ में भी सुधार करता है।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है और इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार की चिकित्सीय सलाह देना नहीं है। किसी भी नई हेल्थ रूटीन शुरू करने से पहले अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।
लालू यादव को ‘भारत रत्न’ की मांग? गाएं भी शरम से लाल!

बिहार की राजनीति में एक नया विवाद, एक नया पोस्टर और सोशल मीडिया पर बवाल। लालू यादव के लिए ‘भारत रत्न’ की मांग से इंटरनेट पर हलचल मच गई है। लोग पूछ रहे हैं, “क्या भारत रत्न अब चारागोटाला के लिए मिलेगा?” जानिए कैसे लालू यादव के नाम पर इस मांग ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है!
जब से बिहार की सड़कों पर ‘भारत रत्न’ के लिए लालू यादव का पोस्टर लगा है, लोग इसे लेकर जमकर चुटकियां ले रहे हैं। सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई है, लोग पूछ रहे हैं, “क्या ये पुरस्कार अब भ्रष्टाचार के लिए मिलेगा?” कुछ ने तंज कसते हुए कहा कि गायें भी अब लालू को मुंह नहीं दिखा पाएंगी, जिन्होंने उनके चारे पर ‘घोटाला’ किया!
सोशल मीडिया का मजेदार रिएक्शन
जैसे ही पोस्टर सार्वजनिक हुआ, ट्विटर पर #BharatRatnaForLalu ट्रेंड करने लगा। किसी ने पूछा, “अगला क्या? घोटाला रत्न?” वहीं, एक अन्य यूजर ने लिखा, “गायों का दूध नहीं, चारा खाकर भारत रत्न?” यह देखकर तो लालू यादव भी सोच रहे होंगे कि ‘इतनी शराफत के बाद भी मुझे क्या-क्या सुनना पड़ रहा है।
विपक्ष का रिएक्शन
एनडीए के नेताओं ने इस मांग का जमकर विरोध किया। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार और जेल की सजा काटने वाले शख्स को इस तरह के सम्मान का कोई हक नहीं। हालांकि, आरजेडी के समर्थक इस पोस्टर के साथ डटे हैं और लालू यादव को ‘समाजवादी मसीहा’ बताते हुए उनकी उपलब्धियों को गिना रहे हैं।
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क्या चारागोटाले पर चाहिए है भारत रत्न?
लालू यादव का नाम सुनते ही सबसे पहले चारागोटाले की याद आती है। सालों तक चले इस घोटाले के बाद, अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि ऐसे शख्स को देश का सबसे बड़ा नागरिक सम्मान देने का क्या तुक है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है, “अगर लालू को भारत रत्न मिल सकता है, तो घोटाला करने वाले हर नेता को एक-एक पुरस्कार देना चाहिए।”
लालू की राजनीतिक धरोहर
आरजेडी के नेता लालू यादव को हमेशा से गरीबों और पिछड़े वर्ग का नेता मानते आए हैं। उनके समर्थक मानते हैं कि उन्होंने बिहार में सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी और उनके योगदान को सम्मानित किया जाना चाहिए। लेकिन यह बात भी सच है कि उनके नाम पर अब चारागोटाले और जेल का तमगा लगा हुआ है।
‘भारत रत्न’ की यह मांग कितनी सही है, यह तो जनता तय करेगी, लेकिन फिलहाल सोशल मीडिया पर इस पर जो चुटकुले और मीम्स बन रहे हैं, वह लालू यादव के राजनीतिक करियर पर एक मजाक से कम नहीं लगते।
सिर्फ 20 रुपये में 2 लाख का बीमा! ऐसे करें इस सरकारी योजना में आवेदन

जी हां, मात्र 20 रुपये! इतना पैसा तो हम दिन में चाय पर खर्च कर देते हैं, और यहां बात हो रही है पूरे दो लाख के बीमा की! भारत सरकार की प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में सिर्फ 20 रुपये का प्रीमियम देकर आपको 2 लाख रुपये तक का सुरक्षा कवच मिल जाता है। जानें कैसे आप इस धमाकेदार स्कीम का फायदा उठा सकते हैं!
ज़िन्दगी है अनिश्चित, पर प्रीमियम सिर्फ 20 रुपये!
हमारी ज़िन्दगी में कोई गारंटी नहीं कि कल क्या हो जाएगा। कब, कैसे और कहां कौन-सी मुसीबत आ जाए, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। ऐसे में कई लोग भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बीमा लेते हैं। पर सच तो ये है कि अच्छा-खासा इंश्योरेंस लेना महंगा सौदा हो सकता है, और हर किसी के पास इतना बजट नहीं होता। बस इसी वजह से सरकार ने ये गजब का “20 रुपये वाला बीमा” निकाला है, जो आपके परिवार को सुरक्षा देने के लिए काफी है।
क्या है प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना?
तो अब मुद्दे की बात पर आते हैं—प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना! 2015 में शुरू की गई ये योजना, भारत सरकार की ओर से एक ऐसा ऑफर है जो शायद ही कोई मिस करना चाहे। सालाना सिर्फ 20 रुपये के प्रीमियम पर आप 2 लाख रुपये तक का बीमा कवर पा सकते हैं। एकदम ‘पैसा वसूल’ डील!
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जानिए किसे मिलेगा फायदा और कैसे?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये ऑफर किसके लिए है? तो बता दें कि इस योजना में 18 से 70 साल के लोग शामिल हो सकते हैं। और हां, अगर कोई एक्सीडेंट हो जाए और दुर्भाग्यवश मौत हो जाए, तो आपके परिवार को पूरे 2 लाख मिलेंगे। आंशिक विकलांगता की स्थिति में भी 1 लाख का लाभ दिया जाता है। अब इतनी कम रकम में इतना बेहतरीन कवर मिलना मतलब सच में सोने पे सुहागा!
आवेदन का आसान तरीका
अब अगर आप इस धमाकेदार योजना में कूदना चाहते हैं, तो इसके लिए दो रास्ते हैं—ऑफलाइन और ऑनलाइन। अगर बैंक जाने का मन है, तो बस अपने बैंक में जाएं और वहां पर फॉर्म भरें। ऑनलाइन करना हो, तो सीधे https://www.jansuraksha.gov.in/ पर जाएं और फॉर्म भरकर पूरे प्रोसेस को एकदम झटपट निपटा दें।
तो फिर किस बात का इंतजार कर रहे हैं? मात्र 20 रुपये में 2 लाख का बंपर फायदा हाथ से जाने मत दीजिए। इस योजना की तारीफ में जितना कहें, कम है!
KK को आज Google Doodle ने किया याद, पर ना जन्मदिन, ना पुण्यतिथि, फिर क्यों हुआ सेलिब्रेशन?

आज जब आपने गूगल खोला, तो हो सकता है कि आपके चेहरे पर मुस्कान आ गई हो, क्योंकि वहां दिखा था एक खास डूडल। और वो डूडल किसी और के लिए नहीं, बल्कि दिलों के सुरों में बसने वाले सिंगर कृष्णकुमार कुन्नथ (KK) के लिए था। पर सवाल ये उठता है कि आज ऐसा क्या खास है? ना आज उनका जन्मदिन है और ना ही उनकी पुण्यतिथि। फिर आखिर क्यों गूगल ने आज KK को खास अंदाज़ में याद किया?
आज क्यों गूगल ने गाया KK का गाना? ना बर्थडे, ना पुण्यतिथि, फिर क्या है ख़ास?
KK का नाम सुनते ही ज़हन में वो दिल छू लेने वाले गाने गूंजने लगते हैं, जिनमें ‘तड़प तड़प के’, ‘यारों’, और ‘हम रहें या ना रहें’ जैसे बेहतरीन गाने शामिल हैं। लेकिन आज गूगल का डूडल किसी खास दिन की वजह से नहीं, बल्कि KK के करियर के सबसे बड़े मोड़ पर बना है।
1996 का ये वही दिन था जब KK ने चोड़ आए हम वो गलियां गाकर हिंदी प्लेबैक सिंगिंग में डेब्यू किया था। इस एक गाने ने मानो उनके संगीत करियर की नींव रख दी। और गूगल ने आज उसी पल को याद करते हुए अपने डूडल के जरिए सिंगिंग की दुनिया के इस नायाब सितारे को ट्रिब्यूट दिया है।
KK का अनोखा जादू, जिसने सबको अपना बना लिया
दिल्ली में 23 अगस्त 1968 को जन्मे कृष्णकुमार कुन्नथ ने कभी नहीं सोचा था कि उनकी आवाज़ एक दिन पूरे भारत के दिलों की धड़कन बन जाएगी। शुरुआत में तो वो एक मार्केटिंग जॉब करते थे, पर दिल तो संगीत में बसता था। 1994 में उन्होंने एक डेमो टेप भेजा, जिसने उन्हें जिंगल्स की दुनिया में एंट्री दिलाई। लेकिन साल 1999 में जब तड़प तड़प के गाना आया, तो उन्होंने ऐसा तड़पाया कि फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
उनका पहला एल्बम ‘पल’ भी उसी साल रिलीज़ हुआ, और हर गाना सीधे दिलों में उतर गया। ‘यारों’ आज भी दोस्ती के सबसे प्यारे गानों में से एक माना जाता है। और इसी एल्बम ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया। पर उनका सफर यहां नहीं रुका; 3,500 से ज्यादा जिंगल्स और 11 भाषाओं में 500 से ज्यादा गाने, KK ने संगीत की दुनिया में अपनी छाप हमेशा के लिए छोड़ दी।
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क्यों खास है KK का योगदान?
KK की आवाज़ की सबसे बड़ी खासियत थी उनकी वर्सटिलिटी। चाहे वो रोमांटिक गाने हों, दर्द भरे नगमे, या फिर दोस्ती के गीत, KK ने हर बार दिल छू लिया। उन्होंने हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, बंगाली, असमिया, और गुजराती जैसी कई भाषाओं में गाने गाए। यही वजह है कि वो सिर्फ एक सिंगर नहीं, बल्कि एक इमोशन बन गए थे।
वो सिर्फ गाने नहीं गाते थे, बल्कि हर शब्द में एक ऐसी भावना भर देते थे, जिससे हर श्रोता खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता था। शायद यही वजह है कि गूगल ने आज के दिन उन्हें खास तरीके से याद किया है, क्योंकि आज से ठीक 28 साल पहले, उन्होंने संगीत के इस सफर की शुरुआत की थी।
KK के सम्मान में कोलकाता में मूर्ति
KK का सफर कोलकाता में खत्म हुआ, जहां उन्होंने अपना आखिरी कॉन्सर्ट दिया था। वहां एक मूर्ति लगाई गई है, जो उनके सम्मान और उनकी संगीत विरासत को सलाम करती है। यह मूर्ति केवल एक गायक की याद नहीं दिलाती, बल्कि उस कलाकार की भी याद दिलाती है, जिसने लाखों दिलों पर राज किया और हमेशा के लिए अमर हो गया।
आज गूगल ने KK को जिस अंदाज़ में ट्रिब्यूट दिया है, वो हर संगीत प्रेमी के दिल में उनके लिए एक नई जगह बना देता है। KK सिर्फ एक सिंगर नहीं थे, वो एक एहसास थे, जो अपनी आवाज़ के जरिए हर दिल तक पहुंचते थे। तो आइए, आज उनके गाने फिर से सुनते हैं और उस जादू को महसूस करते हैं, जिसने कभी हमारी जिंदगी को सुरों से भर दिया था।
Karni Sena vs Lawrence Bishnoi: पुलिस के लिए करोड़ों की ‘एन्काउंटर स्कीम’

कर्णी सेना ने जबसे लॉरेंस बिश्नोई की मौत पर करोड़ों का इनाम रखा है, तबसे Karni Sena vs Lawrence Bishnoi का एक नया war शुरू हो गया है। लेकिन सवाल ये है कि आखिर ये ‘बिश्नोई’ जेल में बंद होकर भी कैसे अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है? क्या उसके पीछे कोई और है, या फिर वो खुद जेल की सलाखों के पीछे से सारा खेल खेल रहा है?
लॉरेंस बिश्नोई, जिसे कई हाई-प्रोफाइल मर्डर्स और प्लॉट्स में दोषी माना जा रहा है, इन दिनों गुजरात के साबरमती जेल में बंद है। लेकिन सवाल ये है कि जेल में रहकर भी वो कैसे इतनी बड़ी वारदातों को अंजाम दे रहा है? बिश्नोई का नाम न सिर्फ़ सलमान ख़ान के मर्डर प्लॉट में आया, बल्कि देशभर में कई मर्डर्स और गैंगवार्स के पीछे भी उसी का नाम जुड़ा है। ऐसे में ये सोचना भी लाज़िमी है कि कहीं वो अपने नाम का इस्तेमाल दूसरों को गुमराह करने के लिए तो नहीं कर रहा?
कर्णी सेना का ‘1.11 करोड़ का ऑफर’: ‘एन्काउंटर या एक्शन मूवी’?
कर्णी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज शेखावत ने हाल ही में एक वीडियो में घोषणा की कि जो भी पुलिसकर्मी लॉरेंस बिश्नोई को एन्काउंटर में मार गिराएगा, उसे 1.11 करोड़ रुपये का इनाम मिलेगा। शेखावत ने बिश्नोई को ‘देश की सुरक्षा के लिए खतरा’ बताते हुए इस कदम को सही ठहराया और कहा कि बिश्नोई ने ‘हमारे अमूल्य रत्न’ सुखदेव सिंह गोगामेदी जी की हत्या की है। गोगामेदी को 2023 में जयपुर में गोली मारी गई थी और इस हत्या की जिम्मेदारी बिश्नोई गैंग ने ली थी।
क्या सलाखों के पीछे से खेल रहा है ‘खेल’?
बिश्नोई के खिलाफ आरोप यही हैं कि वो जेल से बाहर अपने गुर्गों के जरिए सब कुछ नियंत्रित कर रहा है। उसके नाम का खौफ इतना है कि कई लोग इस बात पर यकीन करने लगे हैं कि बिश्नोई का कद एक ‘गैंगस्टर’ से कहीं ज्यादा ‘मास्टरमाइंड’ का हो चुका है। सवाल ये है कि क्या जेल के अंदर बैठे बिश्नोई को कोई और शख्स कंट्रोल कर रहा है, या फिर वो खुद ही इस पूरे गैंग ऑपरेशन का मास्टरमाइंड है?
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बिश्नोई के पीछे कौन?
कई लोग ये भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या बिश्नोई का नाम सिर्फ एक ‘मास्क’ बन चुका है? जिस तरह से लगातार वारदातें हो रही हैं और बिश्नोई का नाम आता जा रहा है, ये सोचने पर मजबूर कर देता है कि कहीं कोई और ताकत तो इसका फायदा नहीं उठा रही? ये पूरी ‘साजिश’ कहीं और से तो नहीं रची जा रही?
पुलिस पर बढ़ा दबाव: ‘कर्णी सेना का बड़ा दांव’
कर्णी सेना का ये इनाम वाली घोषणा कानून-व्यवस्था के लिए भी एक चुनौती बन चुकी है। एक ओर तो पुलिस पर पहले से ही दबाव था कि वो बिश्नोई को काबू में करें, और अब इस इनाम के बाद ये केस और भी पेचीदा हो चुका है। क्या पुलिस इस चुनौती को स्वीकार करेगी, या फिर ये इनाम सिर्फ एक ‘गीदड़ भभकी’ बनकर रह जाएगा?
भारत में मौजूद 6 जगहें, जहां भारतीयों का ही कदम रखना है सख्त मना

भारत अपनी विविधता और सुंदरता के लिए जाना जाता है। हिमालय की बर्फीली चोटियों से लेकर केरल के बैकवॉटर्स तक, हर जगह भारतीय और विदेशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे अपने देश में कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जहां भारतीय नागरिकों का प्रवेश वर्जित है? जी हां, ऐसी जगहें भी हैं जो केवल विदेशी नागरिकों के लिए आरक्षित हैं या फिर अत्यधिक सुरक्षा कारणों से भारतीयों की एंट्री पर प्रतिबंध है। आइए, जानते हैं ऐसी जगहों के बारे में, और क्यों वहां भारतीयों की नो एंट्री है।
1. नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड्स, अंडमान और निकोबार

प्रमुख कारण: यहाँ पर दुनिया की सबसे पुरानी आदिवासी जनजाति सेंटिनल रहते हैं, जो बाहरी दुनिया से किसी भी प्रकार का संपर्क नहीं रखना चाहते। इस इलाके में बाहरी व्यक्ति जाने की कोशिश करता है तो इस जनजाति के लोग हिंसक हो जाते हैं। सरकार ने भी यहाँ भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए नो एंट्री लगा दी है। भारतीय सेना का यहाँ प्रवेश मना है और कानूनन भी इस आइलैंड पर जाने की मनाही है। माना जाता है कि ये जनजाति 60,000 साल पुरानी है, और इनके अधिकारों की रक्षा के लिए यह कदम उठाया गया है।
2. अक्साई चीन, लद्दाख

प्रमुख कारण: यह स्थान लद्दाख में होने के बावजूद विवादित क्षेत्र है। 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान चीन ने इस क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया था। भारत इस जगह को अपना हिस्सा मानता है, लेकिन यह क्षेत्र अब चीन के अधीन है। अक्साई चीन की सुंदरता देखने लायक है, जहां खारे तालाब, वैली और कराकाश नदी का अद्भुत नजारा मिलता है। मगर, यहां भारतीयों का प्रवेश संभव नहीं है क्योंकि यह एक हाई-सिक्योरिटी जोन है और इसे अब भी विवादित क्षेत्र माना जाता है।
3. बैरन आइलैंड, अंडमान

प्रमुख कारण: भारत का इकलौता सक्रिय ज्वालामुखी यहीं स्थित है, जो बैरन आइलैंड का हिस्सा है। इस स्थान की भौगोलिक स्थिति और सुरक्षा कारणों के चलते भारतीय नागरिकों का इस द्वीप पर प्रवेश वर्जित है। इस आइलैंड की सुंदरता को दूर से देखा जा सकता है, लेकिन यहां किसी भी प्रकार की बाहरी गतिविधि पर प्रतिबंध है। इसे भी पर्यटकों के लिए नो एंट्री जोन घोषित किया गया है।
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4. BARC, मुंबई

प्रमुख कारण: यह भारत का प्रतिष्ठित परमाणु अनुसंधान केंद्र है, जहां देश की सुरक्षा और वैज्ञानिक प्रयोग होते हैं। इस जगह पर सिर्फ शोधकर्ता, स्टूडेंट्स और परमाणु वैज्ञानिकों को ही प्रवेश की अनुमति है। इसके अलावा, बाहरी लोगों और सामान्य पर्यटकों के लिए यह क्षेत्र पूरी तरह प्रतिबंधित है। रिसर्च और सुरक्षा कारणों से यह भारत के सबसे सुरक्षित स्थलों में से एक है।
5. कुछ लक्षद्वीप के द्वीप

प्रमुख कारण: लक्षद्वीप का द्वीप समूह 36 द्वीपों का घर है। इनमें से अधिकांश द्वीपों पर भारतीय नागरिकों का जाना मना है, क्योंकि यह क्षेत्र सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। साथ ही, यहाँ पर स्थानीय निवासियों के हितों की रक्षा और पर्यावरण को बचाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है। हाँ, कुछ आइलैंड्स जैसे अगत्ती, कावारत्ती, और मिनिकॉय में पर्यटन की अनुमति है, लेकिन यहाँ भी विशेष परमिट की आवश्यकता होती है।
6. त्सो ल्हामो झील (चोलामू लेक), सिक्किम

प्रमुख कारण: दुनिया की सबसे ऊंची झीलों में से एक, त्सो ल्हामो झील सिक्किम में स्थित है और तिब्बत बॉर्डर के काफी करीब है। यह स्थान इतना संवेदनशील है कि यहां केवल भारतीय सेना, सिक्किम पुलिस और प्रशासन ही जा सकते हैं। पर्यटकों के लिए यह झील प्रतिबंधित क्षेत्र है। यह जगह प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते यहां किसी भी नागरिक का प्रवेश वर्जित है।
भारत में कुछ ऐसी अनोखी जगहें हैं जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और सुरक्षा कारणों से पर्यटकों के लिए आकर्षक हैं। लेकिन इन्हें विवादित स्थिति और विशेष संरक्षण के कारण भारतीय नागरिकों के लिए बंद कर दिया गया है। चाहे वह नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड्स हो जहां जनजातियों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है, या अक्साई चिन जो चीन के कब्जे में है – ये सभी स्थान अनोखे होते हुए भी भारतीयों के लिए बंद हैं।