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KK को आज Google Doodle ने किया याद, पर ना जन्मदिन, ना पुण्यतिथि, फिर क्यों हुआ सेलिब्रेशन?

KK Google doodle

आज जब आपने गूगल खोला, तो हो सकता है कि आपके चेहरे पर मुस्कान आ गई हो, क्योंकि वहां दिखा था एक खास डूडल। और वो डूडल किसी और के लिए नहीं, बल्कि दिलों के सुरों में बसने वाले सिंगर कृष्णकुमार कुन्नथ (KK) के लिए था। पर सवाल ये उठता है कि आज ऐसा क्या खास है? ना आज उनका जन्मदिन है और ना ही उनकी पुण्यतिथि। फिर आखिर क्यों गूगल ने आज KK को खास अंदाज़ में याद किया?

आज क्यों गूगल ने गाया KK का गाना? ना बर्थडे, ना पुण्यतिथि, फिर क्या है ख़ास?

KK का नाम सुनते ही ज़हन में वो दिल छू लेने वाले गाने गूंजने लगते हैं, जिनमें ‘तड़प तड़प के’, ‘यारों’, और ‘हम रहें या ना रहें’ जैसे बेहतरीन गाने शामिल हैं। लेकिन आज गूगल का डूडल किसी खास दिन की वजह से नहीं, बल्कि KK के करियर के सबसे बड़े मोड़ पर बना है।

1996 का ये वही दिन था जब KK ने चोड़ आए हम वो गलियां गाकर हिंदी प्लेबैक सिंगिंग में डेब्यू किया था। इस एक गाने ने मानो उनके संगीत करियर की नींव रख दी। और गूगल ने आज उसी पल को याद करते हुए अपने डूडल के जरिए सिंगिंग की दुनिया के इस नायाब सितारे को ट्रिब्यूट दिया है।

KK का अनोखा जादू, जिसने सबको अपना बना लिया

दिल्ली में 23 अगस्त 1968 को जन्मे कृष्णकुमार कुन्नथ ने कभी नहीं सोचा था कि उनकी आवाज़ एक दिन पूरे भारत के दिलों की धड़कन बन जाएगी। शुरुआत में तो वो एक मार्केटिंग जॉब करते थे, पर दिल तो संगीत में बसता था। 1994 में उन्होंने एक डेमो टेप भेजा, जिसने उन्हें जिंगल्स की दुनिया में एंट्री दिलाई। लेकिन साल 1999 में जब तड़प तड़प के गाना आया, तो उन्होंने ऐसा तड़पाया कि फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

उनका पहला एल्बम ‘पल’ भी उसी साल रिलीज़ हुआ, और हर गाना सीधे दिलों में उतर गया। ‘यारों’ आज भी दोस्ती के सबसे प्यारे गानों में से एक माना जाता है। और इसी एल्बम ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया। पर उनका सफर यहां नहीं रुका; 3,500 से ज्यादा जिंगल्स और 11 भाषाओं में 500 से ज्यादा गाने, KK ने संगीत की दुनिया में अपनी छाप हमेशा के लिए छोड़ दी।

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क्यों खास है KK का योगदान?

KK की आवाज़ की सबसे बड़ी खासियत थी उनकी वर्सटिलिटी। चाहे वो रोमांटिक गाने हों, दर्द भरे नगमे, या फिर दोस्ती के गीत, KK ने हर बार दिल छू लिया। उन्होंने हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी, ओडिया, बंगाली, असमिया, और गुजराती जैसी कई भाषाओं में गाने गाए। यही वजह है कि वो सिर्फ एक सिंगर नहीं, बल्कि एक इमोशन बन गए थे।

वो सिर्फ गाने नहीं गाते थे, बल्कि हर शब्द में एक ऐसी भावना भर देते थे, जिससे हर श्रोता खुद को जुड़ा हुआ महसूस करता था। शायद यही वजह है कि गूगल ने आज के दिन उन्हें खास तरीके से याद किया है, क्योंकि आज से ठीक 28 साल पहले, उन्होंने संगीत के इस सफर की शुरुआत की थी।

KK के सम्मान में कोलकाता में मूर्ति

KK का सफर कोलकाता में खत्म हुआ, जहां उन्होंने अपना आखिरी कॉन्सर्ट दिया था। वहां एक मूर्ति लगाई गई है, जो उनके सम्मान और उनकी संगीत विरासत को सलाम करती है। यह मूर्ति केवल एक गायक की याद नहीं दिलाती, बल्कि उस कलाकार की भी याद दिलाती है, जिसने लाखों दिलों पर राज किया और हमेशा के लिए अमर हो गया।

आज गूगल ने KK को जिस अंदाज़ में ट्रिब्यूट दिया है, वो हर संगीत प्रेमी के दिल में उनके लिए एक नई जगह बना देता है। KK सिर्फ एक सिंगर नहीं थे, वो एक एहसास थे, जो अपनी आवाज़ के जरिए हर दिल तक पहुंचते थे। तो आइए, आज उनके गाने फिर से सुनते हैं और उस जादू को महसूस करते हैं, जिसने कभी हमारी जिंदगी को सुरों से भर दिया था।

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Published by
Subham Sharma