चैंपियंस ट्रॉफी 2025: पाकिस्तान में टूर्नामेंट, क्या भारतीय टीम जाएगी ?

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 की चर्चा हर क्रिकेट प्रेमी की ज़ुबान पर है, और इस बार की चर्चा किसी जीत या हार पर नहीं बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच की उस अदृश्य ‘सरहद’ पर है, जो खेल के मैदान को भी पार कर जाती है। इस बार भारत की टीम पाकिस्तान के मैदान पर नहीं, बल्कि यूएई में अपने मैच खेलेगी। इस निर्णय के पीछे सुरक्षा चिंताओं से ज्यादा भारत-पाक के बीच वर्षों से चले आ रहे जटिल राजनीतिक और सांस्कृतिक कारण हैं। आइए, इस मुद्दे पर एक नए और दिलचस्प नज़रिए से बात करते हैं।
एक ज़माना था जब हम एक थे, और आज हम इतनी दूर क्यों हैं?
भारत और पाकिस्तान एक समय एक ही देश का हिस्सा थे। लेकिन 1947 में हुए बंटवारे ने दोनों देशों के बीच ऐसी ‘सरहद’ खींच दी, जिसने केवल जमीन को नहीं, बल्कि दिलों को भी बांट दिया। और ये सरहद समय के साथ और गहरी होती चली गई। अब ऐसा लगता है कि एक क्रिकेट टूर्नामेंट भी इस सरहद को मिटा नहीं सकता।
“भारत और पाकिस्तान के बीच का ये संबंध वैसा ही है, जैसे बचपन के दोस्त जो अब एक-दूसरे को पहचानते तक नहीं।” दोनों देशों की राजनीतिक परिस्थिति और दशकों के तनाव ने खेल के इस मैदान को भी बुरी तरह प्रभावित किया है।
पियंस ट्रॉफी और यूएई का रोल: भारत का ‘मुकाबला’ पाकिस्तान के बाहर?
भारत की टीम इस बार चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान की सरजमीं पर नहीं, बल्कि यूएई में खेलेगी। यह फैसला केवल सुरक्षा कारणों से नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश भी है कि दोनों देश इतने नज़दीक होकर भी एक-दूसरे से इतने दूर क्यों हैं?
यूएई, जो एक तटस्थ मैदान बन गया है, जैसे क्रिकेट के कूटनीतिक मामले का सुलह करने का अड्डा हो। भारत का यूएई में मैच खेलना एक संकेत है कि भले ही सरहद की दीवारें ऊँची हो जाएं, खेल का मैदान ही वह स्थान है जहाँ दोनों देश शांति से मिल सकते हैं, बशर्ते कि वे इसे संभव बनाना चाहें।
भारत और पाकिस्तान के बीच यह सियासी ‘खेल’: खेल तो बस बहाना है!
भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट का खेल हमेशा से ही एक सियासी दांव-पेंच का प्रतीक रहा है। जब भी दोनों टीमें आमने-सामने होती हैं, तो मैच एक खेल नहीं, बल्कि एक जंग की तरह देखा जाता है।
एक दर्शक का कहना है, “यह केवल एक क्रिकेट मैच नहीं, बल्कि एक जंग का मैदान है, जहाँ दोनों देशों के लोग टीवी के सामने बैठकर अपने-अपने ‘सैनिकों’ का समर्थन करते हैं।”
खेल के मैदान पर भारत और पाकिस्तान के बीच के इस मनोवैज्ञानिक संघर्ष को देखते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि क्रिकेट का यह खेल ‘गेंद और बल्ले’ का नहीं, बल्कि ‘सियासत और सांकेतिकता’ का खेल बन चुका है।
‘सरहद’ सिर्फ जमीन पर ही नहीं, बल्कि मैदान पर भी है!
भारत और पाकिस्तान के बीच यह अदृश्य सरहद अब केवल राजनीति या सैन्य मामले तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह खेल के मैदान तक पहुँच गई है। सुरक्षा चिंता एक मुद्दा हो सकता है, लेकिन यह किसी से छुपा नहीं है कि दोनों देशों के बीच के आपसी मनमुटाव और ‘सांस्कृतिक विभाजन’ इस खेल की भावना पर भी भारी पड़ते हैं।
किसी क्रिकेट मैच में जीत या हार तो तय होती है, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह विभाजन अब क्रिकेट का मैदान भी विभाजित कर रहा है। और शायद इस बार का ‘मुकाबला’ इस सवाल का जवाब दे सके कि कब तक यह सरहदें हमारे खेलों को बांटती रहेंगी?
चैंपियंस ट्रॉफी के इस हाइब्रिड मॉडल का क्या अर्थ है?
इस बार चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के लिए ‘हाइब्रिड मॉडल’ का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका मतलब है कि भारत के मैच पाकिस्तान में न होकर, यूएई में होंगे। यह मॉडल पहले एशिया कप 2023 में भी देखा गया था, जब भारत ने पाकिस्तान में न जाकर श्रीलंका में अपने मैच खेले थे।
“यह ऐसा है जैसे कोई कहे, ‘हम आपके घर आएंगे, पर आपकी चौखट पर नहीं,'” एक क्रिकेट प्रशंसक ने कटाक्ष किया। यह मॉडल दिखाता है कि खेल का मैदान अब केवल खेल की जगह नहीं रह गया, बल्कि एक कूटनीतिक स्थल बन गया है।
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सोशल मीडिया और फैंस का रिएक्शन: खेल या राजनीति का नया मोड़?
जैसे ही खबर आई कि भारत अपने मैच यूएई में खेलेगा, सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएँ आईं। कुछ ने इस फैसले का स्वागत किया, तो कुछ ने इसे लेकर कटाक्ष भी किए।
एक यूज़र ने लिखा, “जब दुश्मनी इतनी गहरी है, तो हम मैदान पर ही क्यों भिड़ें?” वहीं, दूसरे यूज़र ने मजाक में कहा, “भारत और पाकिस्तान का क्रिकेट मैच भी अब ‘दूर से प्यार’ वाली बात हो गई है!”
क्या खेल और राजनीति का यह मिलाजुला असर हमेशा यूं ही रहेगा?
भारत-पाकिस्तान के बीच यह खाई अब इतनी गहरी हो चुकी है कि यह देखना मुश्किल हो रहा है कि कब ये दोनों देश अपने विवादों को पीछे छोड़कर खेल के लिए एकजुट हो पाएंगे। एक खेल जो कभी दोनों देशों के बीच दोस्ती का पुल था, अब वही सरहदें बन गया है।
“क्या सच में खेल का मकसद यही है कि वह देशों को बांटने का काम करे?” यह सवाल आज हर क्रिकेट प्रेमी के दिल में उठ रहा है।
क्या क्रिकेट हमें जोड़ेगा या हमें और दूर करेगा?
भारत और पाकिस्तान के बीच का यह सियासी और सांस्कृतिक विभाजन केवल खेल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक मानसिकता बन चुकी है। चैंपियंस ट्रॉफी 2025 शायद केवल एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि एक प्रतिबिंब है कि कैसे देश और उनके लोग बदल रहे हैं, और कैसे खेल अब राजनीति का मोहरा बन चुका है।
अब देखना यह है कि यह क्रिकेट की कहानी हमें और जोड़ती है या फिर सरहदों को और ऊंचा करती है।
न्यूजीलैंड के खिलाफ शर्मनाक हार के बाद BCCI का बड़ा फैसला: साउथ अफ्रीका दौरे के लिए नया कप्तान और कोच!

घरेलू टेस्ट सीरीज़ में न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-3 से करारी हार ने भारतीय क्रिकेट टीम को हिलाकर रख दिया। हार इतनी दर्दनाक थी कि फैंस का गुस्सा और निराशा सोशल मीडिया पर फूट पड़ी। ऐसे में बीसीसीआई ने बड़ा फैसला लेते हुए दक्षिण अफ्रीका के आगामी T-20 दौरे के लिए टीम में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब सवाल यह है: क्या यह नई टीम पुराने घाव भर सकेगी, या फिर साउथ अफ्रीका की जमीन पर भी निराशा हाथ लगेगी?
न्यूजीलैंड के खिलाफ शर्मनाक हार: दर्द अभी भी ताजा है
भारत के क्रिकेट इतिहास में घरेलू मैदान पर 0-3 से सीरीज़ हारना शायद सबसे बुरा सपना है। “अपने ही घर में हारकर मेज़बान टीम बनने का मतलब ही खत्म हो गया,” एक फैन ने ट्विटर पर गुस्सा जाहिर किया। भारत की बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों ही फ्लॉप साबित हुईं। खिलाड़ियों की प्रदर्शनहीनता ने यह साबित कर दिया कि टीम को नई ऊर्जा और सोच की जरूरत है।
बीसीसीआई का बड़ा फैसला: नया कप्तान और कोच
हार के बाद बीसीसीआई ने फैंस के गुस्से और टीम की कमजोरी को ध्यान में रखते हुए बड़ा फैसला लिया। सूर्यकुमार यादव को टी20 टीम का नया कप्तान बनाया गया है। उनकी आक्रामक बल्लेबाजी और मैदान पर शांत और संयमित स्वभाव को देखते हुए यह जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है।
कोच के रूप में वीवीएस लक्ष्मण की नियुक्ति भी चर्चा में है। लक्ष्मण का क्रिकेट ज्ञान और कोचिंग अनुभव टीम को नई दिशा देने में सहायक हो सकता है। “लक्ष्मण का शांत स्वभाव और तकनीकी ज्ञान टीम को जरूरी संतुलन देगा,” क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है।
नया कप्तान: सूर्यकुमार यादव से उम्मीदें
सूर्यकुमार यादव, जिन्हें उनके फैंस प्यार से “स्काई” भी बुलाते हैं, को कप्तानी की जिम्मेदारी सौंपना एक साहसिक कदम है। उनकी आक्रामकता और मैदान पर रणनीतिक सोच उनकी ताकत हैं।
“सूर्यकुमार के आते ही टीम की एनर्जी लेवल ऊपर हो जाएगी,” एक फैन ने सोशल मीडिया पर खुशी जताई। हालाँकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि कप्तानी का दबाव उनकी बल्लेबाजी को प्रभावित करता है या नहीं।
वीवीएस लक्ष्मण: टीम को नई दिशा देने का प्रयास
वीवीएस लक्ष्मण, भारतीय क्रिकेट के ‘मिस्टर डिपेंडेबल’, अब कोच की भूमिका में नजर आएंगे। उनकी कोचिंग शैली तकनीकी सुधार और खिलाड़ियों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने पर केंद्रित है।
“अगर कोई कोच खिलाड़ियों को संभाल सकता है, तो वह लक्ष्मण ही हैं,” एक पूर्व क्रिकेटर ने कहा। लक्ष्मण की भूमिका न केवल खिलाड़ियों को सुधारने में होगी, बल्कि उन्हें दबाव के क्षणों में प्रेरित करने की भी होगी।
टीम में युवा खिलाड़ियों का समावेश: नई उम्मीदें
बीसीसीआई ने इस बार टीम में कई युवा चेहरों को मौका दिया है। रिंकू सिंह, तिलक वर्मा, और जितेश शर्मा जैसे उभरते हुए खिलाड़ी टीम में शामिल हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये युवा खिलाड़ी साउथ अफ्रीका की तेज पिचों पर कैसा प्रदर्शन करते हैं।
“युवा खिलाड़ियों को मौका देने से टीम में नई ऊर्जा आएगी,” एक क्रिकेट विश्लेषक का कहना है। वहीं, हार्दिक पांड्या और अक्षर पटेल जैसे अनुभवी खिलाड़ी टीम को संतुलन प्रदान करेंगे।
दक्षिण अफ्रीका दौरे का कार्यक्रम
भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ चार टी20 मैच खेलेगी। यह सीरीज़ 8 नवंबर से डरबन में शुरू होगी और 15 नवंबर को जोहान्सबर्ग में समाप्त होगी।
पूरा कार्यक्रम:
- पहला टी20: 8 नवंबर, डरबन
- दूसरा टी20: 10 नवंबर, गेक़बेरहा
- तीसरा टी20: 13 नवंबर, सेंचुरियन
- चौथा टी20: 15 नवंबर, जोहान्सबर्ग
यह सीरीज़ न केवल टीम इंडिया के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि नए कप्तान और कोच की परीक्षा भी होगी।
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सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ: हंसी-मजाक से लेकर उम्मीदों का सैलाब
सोशल मीडिया पर फैंस का रिएक्शन मिलाजुला है। कुछ लोग इस बदलाव से खुश हैं, जबकि कुछ अभी भी बीसीसीआई के फैसलों को लेकर नाराज हैं।
एक मीम वायरल हो रहा है, जिसमें लिखा है, “साउथ अफ्रीका की पिचें देखकर हमारी टीम के पसीने छूट जाएंगे।” वहीं, कुछ फैंस कह रहे हैं कि अब समय आ गया है जब टीम इंडिया को अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा वापस लानी होगी।
क्या यह बदलाव टीम इंडिया की किस्मत बदल पाएगा?
सवाल यह है कि क्या सूर्यकुमार यादव की कप्तानी और वीवीएस लक्ष्मण की कोचिंग टीम इंडिया को जीत की राह पर ला पाएगी? या फिर यह बदलाव भी निराशा में बदल जाएगा?
“टीम इंडिया को अब समय आ गया है कि वह अपने आलोचकों को गलत साबित करे,” एक क्रिकेट प्रशंसक का कहना है।
नई उम्मीदें, नए सपने
भारतीय क्रिकेट टीम के पास साउथ अफ्रीका दौरे पर अपनी छवि सुधारने का सुनहरा मौका है। नए कप्तान, नए कोच, और युवा खिलाड़ियों की सेना के साथ, फैंस को उम्मीद है कि टीम इंडिया इस बार कुछ खास करके दिखाएगी।
फिर भी, यह देखना बाकी है कि यह बदलाव टीम के प्रदर्शन में कितना सुधार लाता है। साउथ अफ्रीका की धरती पर टीम का सामना कठिन चुनौतियों से होगा, और फैंस की निगाहें हर एक गेंद और हर एक रन पर टिकी रहेंगी।
भारत में 2036 ओलंपिक: क्या हम तैयार हैं या फिर दोहराएंगे 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स का इतिहास?

भारत ने अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) को एक औपचारिक इच्छा पत्र भेजकर 2036 ओलंपिक खेलों की मेज़बानी की दावेदारी पेश कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस सपने को साकार करने का वादा किया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम इतने बड़े आयोजन के लिए तैयार हैं? या फिर 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान हुए भ्रष्टाचार और अव्यवस्था की कहानियाँ फिर से दोहराई जाएँगी? आइए, जानते हैं इस खबर की पूरी कहानी।
भारत का ओलंपिक सपना: क्या यह मुमकिन है?
भारत में 2036 ओलंपिक की मेज़बानी का सपना नया नहीं है। वर्षों से हमारे देश में यह चर्चा होती रही है कि ओलंपिक जैसे बड़े आयोजन को यहाँ लाया जाए। लेकिन क्या हमारे पास इतने बड़े स्तर पर यह आयोजन करने की क्षमता है?
सोशल मीडिया पर एक यूज़र ने तंज कसते हुए कहा, “भाई, पहले तो मेट्रो की लाइन समय पर पूरी नहीं होती, और हम ओलंपिक की मेज़बानी की बात कर रहे हैं!”
2010 कॉमनवेल्थ गेम्स: याद है, ना?
जो लोग 2036 ओलंपिक की खबर से उत्साहित हैं, उन्हें 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स की याद दिलाना जरूरी है। दिल्ली में हुए इन खेलों के दौरान भयंकर भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे। स्पोर्ट्स विलेज समय पर पूरा नहीं हो पाया, फुटपाथ से लेकर सड़कों तक गड्ढों का साम्राज्य था, और खिलाड़ियों के लिए बनाए गए आवासों की हालत तो और भी खराब थी।
भ्रष्टाचार के किस्से:
- “याद है, जब एक साधारण फुटपाथ का निर्माण करोड़ों रुपये में बताया गया था?” एक और यूज़र ने ट्विटर पर लिखा।
- खेलों के आयोजन में लगभग 70,000 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जिनमें से बड़ी रकम कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई थी।
इस बार भी कुछ ऐसा न हो जाए, यह डर लोगों के दिलों में बैठा हुआ है।
क्या भारत में बुनियादी ढाँचा तैयार है?
ओलंपिक खेलों के लिए अत्याधुनिक स्टेडियम, ट्रांसपोर्ट सिस्टम, और पर्यावरण के अनुकूल सुविधाओं की जरूरत होती है। जबकि भारत में कुछ विश्वस्तरीय स्टेडियम मौजूद हैं, लेकिन हमें अभी भी बुनियादी ढाँचे में भारी सुधार की आवश्यकता है।
- “ट्रैफिक जाम में फंसे बिना लोग कैसे मैच देखने आएँगे?” यह सवाल एक इंस्टाग्राम पोस्ट पर वायरल हो रहा है।
- लोगों को यह भी डर है कि अगर तैयारियाँ समय पर पूरी नहीं हुईं, तो एक बार फिर से देश की छवि खराब होगी।
सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव
इतने बड़े आयोजन का सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव भी होता है। लाखों लोग ओलंपिक देखने के लिए भारत आएँगे, जिससे प्रदूषण, भीड़भाड़, और संसाधनों की कमी जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।
पर्यावरणीय चिंताएँ:
- यदि हम यह सुनिश्चित नहीं करते कि आयोजन पर्यावरण के अनुकूल हो, तो हमारे शहरों में प्रदूषण बढ़ सकता है।
- दूसरी तरफ, इतने बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य स्थानीय निवासियों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रियाएँ: मजाक या गंभीरता?
जैसे ही यह खबर आई कि भारत ने 2036 ओलंपिक की मेज़बानी की दावेदारी पेश कर दी है, सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कुछ लोगों ने इसे गर्व की बात बताया, जबकि अन्य ने इसे मजाक के रूप में लिया।
- “यह तो ऐसा है जैसे हमने बिना पका खाना परोस दिया हो,” एक मीम में लिखा गया।
- वहीं कुछ लोग कह रहे हैं कि यदि भ्रष्टाचार को दूर किया जाए और समय पर तैयारियाँ हों, तो यह आयोजन देश के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है।
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सरकार की तैयारी और वादे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि भारत 2036 ओलंपिक की मेज़बानी के लिए पूरी तरह तैयार होगा। सरकार का कहना है कि बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचे का विकास होगा, और सभी तैयारियाँ अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप की जाएँगी।
सरकारी वादा:
- स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार
- स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स में तेजी
- पर्यावरण को बचाने के लिए विशेष उपाय
लेकिन जनता का भरोसा तभी जीता जा सकता है, जब ये वादे हकीकत में बदलें।
आगे का रास्ता: उम्मीद या डर?
2036 ओलंपिक खेलों की मेज़बानी भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर हो सकता है। लेकिन यह तभी सफल होगा जब तैयारियाँ समय पर हों, भ्रष्टाचार को खत्म किया जाए, और एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाए।
एक ट्विटर यूज़र ने लिखा, “हमें गर्व है कि भारत ओलंपिक मेज़बानी कर सकता है, लेकिन दिल में डर भी है कि यह सपना कहीं बुरा सपना न बन जाए।”
भारत में 2036 ओलंपिक की मेज़बानी का सपना बड़ा है, लेकिन इसके लिए बहुत मेहनत और ईमानदारी से काम करना होगा। क्या हम तैयार हैं? यह सवाल समय के साथ ही जवाब देगा। लेकिन एक बात तो तय है—आने वाले दिनों में यह खबर और भी चर्चा में रहेगी।
Ind vs NZ: भारत की सबसे बड़ी हार! घरेलू मैदान पर पहली बार 0-3 से धुल गई टीम इंडिया!

भारत में क्रिकेट को धर्म की तरह पूजा जाता है, लेकिन हाल ही में न्यूज़ीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज़ में 0-3 की हार ने फैंस को गहरे सदमे में डाल दिया है। यह पहली बार है जब भारतीय टीम को अपने ही घर में टेस्ट सीरीज़ में सफाया झेलना पड़ा है।
इतिहास में पहली बार: घर में 0-3 से हार
न्यूज़ीलैंड ने भारत को तीन मैचों की टेस्ट सीरीज़ में 3-0 से हराकर इतिहास रच दिया है। इससे पहले, 2000 में दक्षिण अफ्रीका ने भारत को 2-0 से हराया था, लेकिन तीन मैचों की सीरीज़ में यह पहली बार है जब भारत को अपने ही मैदान पर क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा है।
पहला टेस्ट: बेंगलुरु में बैटिंग का बैंड
बेंगलुरु में खेले गए पहले टेस्ट में भारतीय टीम पहली पारी में मात्र 46 रन पर सिमट गई, जो टेस्ट क्रिकेट में भारत का दूसरा सबसे कम स्कोर है। न्यूज़ीलैंड ने इस मैच को 8 विकेट से जीतकर सीरीज़ में बढ़त बना ली।
दूसरा टेस्ट: पुणे में पिच पर फिसड्डी प्रदर्शन
पुणे में दूसरे टेस्ट में भारतीय बल्लेबाज़ी फिर से लड़खड़ा गई। न्यूज़ीलैंड के स्पिनर मिचेल सैंटनर ने 13 विकेट लेकर भारत को 113 रनों से हराया और सीरीज़ में 2-0 की अजेय बढ़त हासिल की।
तीसरा टेस्ट: मुंबई में मायूसी की मूरत
मुंबई में तीसरे टेस्ट में भारतीय टीम 147 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए मात्र 121 रन पर ढेर हो गई, और न्यूज़ीलैंड ने 25 रनों से जीत दर्ज की। इस हार के साथ ही भारत को 0-3 से सीरीज़ गंवानी पड़ी।
फैंस का फूटा गुस्सा: सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़
जैसे ही भारत को न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 0-3 से सीरीज़ में क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा, सोशल मीडिया पर मीम्स और ट्रोल्स की बाढ़ आ गई। “टीम इंडिया ने तो पहले ही दिवाली के पटाखे फोड़ दिए!” जैसी टिप्पणियाँ वायरल हो गईं। एक यूज़र ने ट्वीट किया, “ऐसा लगता है कि खिलाड़ी नेट्स पर नहीं, बल्कि विज्ञापन शूट में ज़्यादा मेहनत कर रहे हैं।“
कुछ फैंस ने कप्तान रोहित शर्मा की आलोचना करते हुए कहा, “रोहित शर्मा को कप्तानी छोड़कर अब सिर्फ ‘हिटमैन’ नाम के विज्ञापनों में काम करना चाहिए।” वहीं, कोच गौतम गंभीर को भी निशाने पर लिया गया, “गौतम गंभीर कोचिंग देने से ज़्यादा खिलाड़ियों को बचपन की कहानियाँ सुनाते लगते हैं।“
एक और व्यंग्यात्मक ट्वीट में लिखा था, “इस हार के बाद खिलाड़ियों को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की ट्रॉफी नहीं, बल्कि ‘क्लीन स्वीप’ अवार्ड देना चाहिए!” सोशल मीडिया पर हर कोई अपनी निराशा को मज़ाकिया अंदाज में बयां कर रहा है, और मीम्स देखकर आपकी हंसी छूट जाएगी।
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आगे की राह: ऑस्ट्रेलिया दौरे की चुनौती
अब भारतीय टीम के सामने ऑस्ट्रेलिया का कठिन दौरा है, जहां पांच टेस्ट मैच खेले जाएंगे। यह सीरीज़ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण है। फैंस उम्मीद कर रहे हैं कि टीम इंडिया वहां बेहतर प्रदर्शन करेगी और इस हार की कड़वी यादों को पीछे छोड़ देगी।
आत्ममंथन की ज़रूरत
न्यूज़ीलैंड के खिलाफ इस शर्मनाक हार ने भारतीय क्रिकेट टीम को आत्ममंथन करने पर मजबूर कर दिया है। अब देखना होगा कि टीम इंडिया इस झटके से कैसे उबरती है और आने वाली चुनौतियों का सामना कैसे करती है।
सोशल मीडिया पर फैंस का गुस्सा और तंज़ बताता है कि टीम इंडिया को अब अपनी रणनीति पर गंभीरता से काम करने की ज़रूरत है। अब देखना होगा कि यह हार टीम के लिए एक सबक बनती है या फिर आगे भी इसी तरह प्रदर्शन जारी रहता है।
IPL 2025: विराट को 21 करोड़, रोहित को 17 करोड़, और धोनी को सिर्फ 4 करोड़! आखिर क्यों?

IPL 2025 की रिटेंशन लिस्ट जारी होते ही क्रिकेट प्रेमियों के बीच चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। जहां विराट कोहली को 21 करोड़ रुपये में रिटेन किया गया है, वहीं रोहित शर्मा को 17 करोड़ रुपये में टीम ने बरकरार रखा है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली खबर यह है कि चेन्नई सुपर किंग्स ने अपने पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को मात्र 4 करोड़ रुपये में रिटेन किया है।
धोनी की कम रिटेंशन राशि का कारण
धोनी की रिटेंशन राशि कम होने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण है। बीसीसीआई ने नए नियमों के तहत उन खिलाड़ियों को ‘अनकैप्ड’ श्रेणी में रखा है, जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेला है। चूंकि धोनी ने 2019 के बाद से कोई अंतरराष्ट्रीय मैच नहीं खेला है, इसलिए वे इस श्रेणी में आते हैं। अनकैप्ड खिलाड़ियों की रिटेंशन राशि 4 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है, जिससे सीएसके ने धोनी को इस राशि में रिटेन किया है।
अन्य प्रमुख रिटेंशन और रिलीज़
- मुंबई इंडियंस: रोहित शर्मा (17 करोड़ रुपये), हार्दिक पांड्या (14 करोड़ रुपये), जसप्रीत बुमराह (11 करोड़ रुपये) को रिटेन किया गया है।
- रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर: विराट कोहली (21 करोड़ रुपये), फाफ डु प्लेसिस (14 करोड़ रुपये) को बरकरार रखा गया है।
- दिल्ली कैपिटल्स: अक्षर पटेल को रिटेन किया गया है, जबकि ऋषभ पंत और शिखर धवन को रिलीज़ किया गया है।
धोनी की रिटेंशन पर फैंस की प्रतिक्रिया
धोनी की कम रिटेंशन राशि पर फैंस ने सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ का मानना है कि यह धोनी की विनम्रता और टीम के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है, जबकि अन्य इसे उनके करियर के अंत की ओर संकेत मान रहे हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि धोनी का टीम में योगदान अमूल्य है और उनकी उपस्थिति से टीम को मनोबल मिलता है।
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नए नियमों का प्रभाव
बीसीसीआई के नए रिटेंशन नियमों के तहत, प्रत्येक टीम अधिकतम 6 खिलाड़ियों को रिटेन कर सकती है, जिसमें 5 कैप्ड और 2 अनकैप्ड खिलाड़ी शामिल हैं। इसके अलावा, राइट टू मैच (RTM) विकल्प भी वापस लाया गया है, जिससे टीमें नीलामी में अपने पूर्व खिलाड़ियों को वापस पा सकती हैं।
आगे की राह
आईपीएल 2025 की नीलामी में कई बड़े नाम शामिल होंगे, जिससे टीमें अपनी रणनीतियों को नए सिरे से तैयार करेंगी। फैंस बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं कि उनकी पसंदीदा टीमें किन खिलाड़ियों को चुनेंगी और आगामी सीजन में कैसा प्रदर्शन करेंगी।
महेंद्र सिंह धोनी की 4 करोड़ रुपये की रिटेंशन राशि ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है। हालांकि, नए नियमों के तहत यह निर्णय लिया गया है, लेकिन धोनी का टीम में योगदान और उनकी नेतृत्व क्षमता असीमित है। आगामी आईपीएल सीजन में यह देखना दिलचस्प होगा कि टीमें और खिलाड़ी कैसे प्रदर्शन करते हैं और फैंस को क्या नया देखने को मिलता है।
India vs New Zealand: रनों के लिए तरसी टीम इंडिया, 12 साल बाद हारी टेस्ट सीरीज

India vs New Zealand: भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच 2024 की टेस्ट सीरीज एक ऐसा झटका लेकर आई है, जिसे भारतीय क्रिकेट फैंस शायद ही कभी भूल पाएंगे। 12 साल बाद घरेलू मैदान पर टीम इंडिया को इस तरह हारते देखना, सचमुच एक दर्दनाक अनुभव रहा। लेकिन क्या सिर्फ हार ही हजम करना है या कुछ सीख भी मिली?
भारत की शानदार क्रिकेट विरासत पर इस सीरीज में न्यूज़ीलैंड ने बड़ा धक्का मारा। पहले दो मैच हारकर भारत ने सीरीज भी गंवा दी और फैंस के दिल भी। भारतीय बल्लेबाजों की कमजोरी और गेंदबाजों की बेचारगी ने साबित कर दिया कि वर्ल्ड क्रिकेट में चैंपियन होने का दावा करना अब इतना आसान नहीं रह गया है।
इतिहास रचने का मौका, लेकिन…
पहले मैच में न्यूज़ीलैंड ने भारत को 113 रनों से हराकर 36 साल में पहली बार भारत में टेस्ट मैच जीता। वहीं, दूसरे मैच में तो टीम इंडिया जैसे मैदान पर टिक ही नहीं पाई। रिकॉर्ड टूटते चले गए, लेकिन वे रिकॉर्ड हमारी हार और कमजोरी की कहानी कह रहे थे।
क्या गलत हुआ?
भारतीय टीम की बल्लेबाजी पहले मैच में किसी ‘हॉरर शो’ से कम नहीं थी। 46 रन पर पूरी टीम सिमट गई, जो घरेलू मैदान पर भारत का सबसे कम स्कोर है। इसके बाद क्या होना था? न्यूज़ीलैंड की टीम ने सधी हुई बल्लेबाजी और धैर्य से भारत के गेंदबाजों को थका दिया।
दूसरे मैच में भी कहानी कुछ अलग नहीं थी। यशस्वी जायसवाल और शुभमन गिल ने अच्छी शुरुआत दी, लेकिन मिडल ऑर्डर का पतन भारत के लिए हार का कारण बना। रोहित शर्मा की कप्तानी पर सवाल खड़े हो गए हैं।
न्यूज़ीलैंड का ऐतिहासिक प्रदर्शन
न्यूज़ीलैंड ने इस सीरीज में न केवल भारत को हराया, बल्कि कई रिकॉर्ड भी तोड़ दिए। गेंदबाज मिच सेंटनर ने भारतीय बल्लेबाजों को अपने स्पिन जाल में फंसा लिया, और बल्ले से भी किवी खिलाड़ियों ने भारतीय गेंदबाजों का जमकर सामना किया। ऐसा लग रहा था मानो भारत अपनी ही धरती पर एक अतिथि बनकर खेल रहा हो।
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फैंस का रिएक्शन
सोशल मीडिया पर भारतीय फैंस का गुस्सा उफान पर है। एक यूजर ने ट्वीट किया, “लगता है हमारी टीम सिर्फ टी20 खेलने के लिए बनी है, टेस्ट क्रिकेट से मोहभंग हो गया है!” वहीं, एक और यूजर ने मजाक में लिखा, “अब तो शायद क्रिकेट खेलना छोड़कर कबड्डी में हाथ आजमाना चाहिए।”
आगे क्या?
तीसरे मैच में अब भारत के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है। लेकिन जीतना इतना आसान भी नहीं होगा। यह सीरीज भारतीय क्रिकेट के लिए एक सबक बनकर आई है, कि सिर्फ नाम और इतिहास से मैच नहीं जीते जाते, मैदान पर प्रदर्शन भी करना पड़ता है। टीम मैनेजमेंट को अपनी रणनीतियों पर गहराई से सोचना होगा, खासकर विदेशी खिलाड़ियों के खिलाफ।
भारतीय क्रिकेट टीम की इस हार ने बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया है। शायद अब समय आ गया है कि हम अपनी कमियों को स्वीकारें और उन्हें सुधारने की दिशा में काम करें। वरना, आगे भी न्यूज़ीलैंड जैसी टीमें हमें ऐसी ही मात देती रहेंगी।
न्यूज़ीलैंड की ‘कीवी सेना’ के आगे भारतीय बल्लेबाजों का ‘खड़े-खड़े आउट शो’!

टीम इंडिया के लिए इस टेस्ट सीरीज में न्यूज़ीलैंड की टीम पूरी तरह से खलनायक बन चुकी है। पहले टेस्ट में मात खाने के बाद, दूसरे टेस्ट में भी भारतीय खिलाड़ी मैदान पर संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। क्या हमारी टीम वाकई टेस्ट खेल रही है या कोई ‘बैठ-देखो’ प्रतियोगिता?
दूसरे टेस्ट मैच का दूसरा दिन खत्म होते-होते भारत का हाल किसी गिरती हुई इमारत जैसा हो गया है। 301 रन से पीछे, और हालात ऐसे कि टीम में कोई योजना नहीं दिख रही। न्यूज़ीलैंड ने इस बार भी भारतीय खिलाड़ियों को अपने स्पिन जाल में बुरी तरह फंसा लिया है।
‘घायल शेरों’ से भरी टीम इंडिया
वाशिंगटन सुंदर ने चार विकेट लिए और अकेले ही मैदान पर लड़ते दिखे। पर बाकी खिलाड़ियों का प्रदर्शन सवालों के घेरे में है। अश्विन, जडेजा जैसे स्पिनर जो घरेलू मैदानों पर हमेशा चमकते हैं, इस बार बिलकुल फीके नजर आ रहे हैं। बल्लेबाजों का हाल तो ऐसा है मानो उन्हें पता ही नहीं कि गेंद का सामना कैसे करना है!
क्या टीम इंडिया की बैटिंग छुट्टी पर है?
टेस्ट क्रिकेट की सबसे बड़ी खूबसूरती है उसकी धैर्यपूर्ण बैटिंग। लेकिन इस बार भारतीय टीम का बैटिंग क्रम इतना बिखरा कि न्यूज़ीलैंड के मिच सेंटनर जैसे गेंदबाज भी स्टार बन गए। सिर्फ 156 रन बनाने के बाद भारतीय बल्लेबाजों की हालत ऐसी हो गई है, जैसे उन्हें बल्ला पकड़ना ही नहीं आता।
कोच और कप्तान को जिम्मेदारी लेनी चाहिए!
गौतम गंभीर की कोचिंग में भारतीय टीम लगातार संघर्ष कर रही है। और रोहित शर्मा की कप्तानी पर भी सवाल उठ रहे हैं। टीम में स्पष्टता की कमी है, और खिलाड़ियों के अंदर वो जोश नजर नहीं आ रहा, जो एक वर्ल्ड क्लास टीम से उम्मीद की जाती है।
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सुझाव: क्या कर सकती है टीम इंडिया?
- योजना का अभाव: भारतीय बल्लेबाजों को क्रीज पर टिकने की योजना बनानी होगी, और जल्दबाजी से बचना होगा।
- स्पिन के खिलाफ तैयारी: न्यूज़ीलैंड के स्पिनरों के खिलाफ हमारे बल्लेबाज संघर्ष करते दिख रहे हैं। उन्हें तकनीकी सुधार की जरूरत है।
- फिटनेस और फॉर्म: कोच को खिलाड़ियों की फिटनेस और फॉर्म पर ध्यान देना होगा ताकि मैदान पर बेहतर प्रदर्शन हो सके।
सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
ट्विटर और इंस्टाग्राम पर भारतीय प्रशंसक टीम की हालत देखकर निराश हैं। “टीम इंडिया का अगला मैच कब है? ताकि मैं देख सकूं कि हम कितने रन से हारेंगे,” जैसी टिप्पणियां वायरल हो रही हैं। वहीं, कुछ लोग कह रहे हैं कि भारतीय बल्लेबाजों का टेस्ट क्रिकेट से मोहभंग हो गया है!
न्यूज़ीलैंड के खिलाफ इस टेस्ट सीरीज में भारत का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। टीम इंडिया को अपनी रणनीति और आत्मविश्वास पर काम करना होगा, नहीं तो ये टेस्ट सीरीज उनके लिए एक बुरा सपना साबित हो सकती है।
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जब आपको लगता है कि आप मैच जीतने जा रहे हैं और फिर अचानक सब कुछ पलट जाता है, तो यही होता है जब आप 46 रन पर ऑलआउट हो जाते हैं। जी हां, भारत की पहली पारी में प्रदर्शन ने दर्शकों के दिलों पर गहरा घाव किया और सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ ला दी। भारत के बल्लेबाजों ने पूरी टीम को गहरे कुएं में धकेल दिया, जब पूरी टीम महज 46 रन पर धराशायी हो गई। इसके बाद से ही ट्विटर पर #46allout ट्रेंड करने लगा और लोग कहने लगे – “ये इंडिया है या जीमेल, हर ओवर में नए पासवर्ड मांग रहा था।
भारत का ऐतिहासिक पतन: 46 रन पर धराशायी, सोशल मीडिया पर हुए ट्रोल
पहली पारी में भारत के बल्लेबाजों ने ऐसा प्रदर्शन किया जिसे देख फैंस को क्रिकेट छोड़कर ‘टेट्रिस’ खेलने का मन करने लगा। न्यूज़ीलैंड के गेंदबाजों ने भारतीय टीम की ऐसी धज्जियां उड़ाईं जैसे सुबह की कड़क चाय के साथ बिस्किट। सोशल मीडिया यूजर्स भी जमकर अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करते दिखे, कुछ ने कहा, “भारत के बल्लेबाजों का आज का स्ट्राइक रेट देखकर लग रहा है कि मानो वो ‘काम जल्दी खत्म करो’ वाले मोड में थे।
न्यूज़ीलैंड की पहली पारी: रचिन ने रंगाई इंडिया की बॉलिंग
न्यूज़ीलैंड की टीम ने जब भारतीय टीम को 46 रन पर समेटा, तो सबके मन में सवाल था कि अब न्यूज़ीलैंड की बारी है। लेकिन क्या करें, न्यूज़ीलैंड के बल्लेबाजों ने इंडिया के बॉलर्स को मानो नेट प्रैक्टिस कराई। रचिन रवींद्र ने 134 रन की शानदार पारी खेलकर भारतीय गेंदबाजों को एकतरफा कर दिया। वहीं, टिम साउथी ने 65 रन जोड़कर इस पारी को और भी मजबूत कर दिया। कुल मिलाकर, न्यूज़ीलैंड ने अपनी पहली पारी में 402 रन का पहाड़ खड़ा कर दिया।
दूसरी पारी में इंडिया की वापसी: सरफराज और पंत ने दी उम्मीद
जिस तरह पहली पारी में भारत ने अपने फैंस को मायूस किया था, उसी तरह दूसरी पारी में धमाकेदार वापसी करके उम्मीद की किरण जगाई। सरफराज खान और ऋषभ पंत ने बल्ले से आग उगलते हुए 177 रन की साझेदारी की। इस साझेदारी ने न सिर्फ भारत को मैच में वापसी कराई, बल्कि फैंस को यकीन दिलाया कि “शेर अभी ज़िंदा है।
सरफराज के 150 रन और पंत के 99 रन की शानदार पारी ने मैच को रोचक बना दिया, लेकिन जैसे ही नई गेंद आई, भारत के विकेट मानो परियों की तरह उड़ने लगे। इंडिया ने दूसरी पारी में 462 रन बनाए, लेकिन खेल की बागडोर न्यूज़ीलैंड के हाथ में ही रही।
न्यूज़ीलैंड की दूसरी पारी: ‘जीमेल जैसा पासवर्ड नहीं, बल्कि सुलझे हुए ओपनर्स’
न्यूज़ीलैंड की टीम को जीत के लिए महज 107 रन चाहिए थे, और उन्होंने धैर्य से खेलते हुए महज 2 विकेट खोकर ये लक्ष्य हासिल कर लिया। टॉम लैथम और विल यंग की सूझबूझ भरी बल्लेबाजी ने भारत के बॉलर्स की मेहनत पर पानी फेर दिया।
कमेंट्री के दौरान सलमान बट्ट ने भी मजेदार टिप्पणी की, “भारतीय गेंदबाजों को जैसे गेंदबाजी की दिशा और दिशा भूल गई थी। यह शायद भारतीय क्रिकेट के लिए वो पल था जब हर ओवर के बाद गेंदबाज एक नई स्क्रिप्ट लेकर आते थे।”
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सोशल मीडिया का सर्कस: पहली पारी के बाद ’46allout’ का ट्रेंड
पहली पारी के बाद ट्विटर पर मीम्स की बाढ़ आ गई थी। एक यूजर ने लिखा, “इंडियन क्रिकेट टीम और जीमेल में यही फर्क है – जीमेल हर ओवर में नया पासवर्ड मांगता है, लेकिन टीम इंडिया हर ओवर में नया बहाना देती है।”
दूसरे ने कहा, “भारत की बैटिंग देखी, और लगा कि बल्ला नहीं, बल्कि पेंचकस से क्रिकेट खेल रहे थे।” कई यूजर्स ने राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा को निशाने पर लेते हुए कहा, “प्लान A, B, C सब फेल – अब प्लान ‘घंटा’ चलाना पड़ेगा।”
जीत के बावजूद न्यूज़ीलैंड को मिला भारतीय फैंस का प्यार
हालांकि, हार के बावजूद भारतीय क्रिकेट फैंस ने न्यूज़ीलैंड की टीम की जीत को सराहा। आखिरकार, 36 साल बाद न्यूज़ीलैंड ने भारत की धरती पर टेस्ट मैच जीता था। फैंस ने कहा, “जीत चाहे किसी की भी हो, क्रिकेट का रोमांच ही असली मज़ा है।
भारत की हार ने भले ही फैंस को मायूस किया हो, लेकिन क्रिकेट का यही मज़ा है। हर हार एक सीख होती है और उम्मीद है कि अगली पारी में टीम इंडिया एक बार फिर से अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी।
मोहम्मद सिराज बने बिना डिग्री के DSP, जानिए कैसे मिला हैदराबाद में सरकारी तोहफा

भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने हाल ही में तेलंगाना पुलिस में डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (DSP) का पद संभाल लिया है। वर्ल्ड कप 2023 में उनके जबरदस्त प्रदर्शन के बाद, सिराज को तेलंगाना सरकार ने यह महत्वपूर्ण पद सौंपा। शुक्रवार को तेलंगाना पुलिस महानिदेशक (DGP) जितेंद्र की उपस्थिति में सिराज ने अपनी नई जिम्मेदारी संभाली।
600 वर्ग गज की जमीन का तोहफा
सिराज के उत्कृष्ट प्रदर्शन को सम्मानित करने के लिए, तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने उन्हें जुबली हिल्स, हैदराबाद में 600 वर्ग गज का प्लॉट भी उपहार में दिया। यह उपहार सिराज की कड़ी मेहनत और देश को वर्ल्ड कप जिताने में उनके योगदान के लिए दिया गया है। मुख्यमंत्री ने सिराज की शैक्षणिक योग्यता को देखते हुए उन्हें ग्रुप-1 की नौकरी में छूट देने की भी घोषणा की।
सिराज का क्रिकेट करियर
सिराज ने 2020-21 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू किया था और तब से वह लगातार भारतीय गेंदबाजी आक्रमण का हिस्सा बने हुए हैं। उन्होंने अब तक 29 टेस्ट मैचों में 78, 44 वनडे में 71 और 16 टी20 मैचों में 14 विकेट झटके हैं। 2023 टी20 वर्ल्ड कप में उनके बेहतरीन प्रदर्शन ने भारत को चैंपियन बनाया और अब वह भारत के शीर्ष तीन तेज गेंदबाजों में गिने जाते हैं।
सिराज की लोकप्रियता और सम्मान
मोहम्मद सिराज का ये सम्मान उनके लिए और भारतीय क्रिकेट के प्रशंसकों के लिए गर्व की बात है। तेलंगाना के एक आम परिवार से आने वाले सिराज ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जगह बनाई और आज डीएसपी जैसे महत्वपूर्ण पद पर काबिज हैं। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने सिराज को न केवल एक क्रिकेटर के रूप में बल्कि एक आदर्श प्रेरणा के रूप में भी सराहा है।
वर्ल्ड कप के हीरो को मिला सरकारी सम्मान
सिराज का यह सफर उनके लिए आसान नहीं रहा। कड़ी मेहनत और जुनून ने उन्हें उस मुकाम पर पहुंचाया है, जहां आज वह खेल और समाज दोनों में योगदान दे रहे हैं। डीएसपी पद के साथ, उन्हें एक नई जिम्मेदारी मिली है, और यह उनके भविष्य के लिए एक और बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।