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सिख श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी: भारत-पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर को 5 साल तक बढ़ाया!

Kartarpur Gurudwara
Image Credit: Wikipedia

करतारपुर कॉरिडोर से एक बार फिर से सिख समुदाय को खुशियों का तोहफा मिला है। भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर साहिब कॉरिडोर समझौते को अगले पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया है। इस कॉरिडोर के ज़रिए सिख यात्री बिना वीज़ा पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब तक पहुँच सकते हैं। भारत सरकार ने इस कॉरिडोर की अहमियत को समझते हुए इसके संचालन को और पांच साल तक जारी रखने की सहमति दी है।

ये खबर सिख समुदाय के लिए किसी ‘करतारपुर एक्सप्रेस’ के तेज़ी से चलने जैसी है। अब सिख श्रद्धालु लगातार अगले पांच साल तक बिना किसी वीज़ा की परेशानी के अपने प्रिय स्थल की यात्रा कर सकेंगे।

पांच साल का ‘करतारपुर एक्सटेंशन’ – सिख श्रद्धालुओं में खुशी की लहर

जब भी करतारपुर साहिब की बात होती है, सिख समुदाय में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। गुरुद्वारा दरबार साहिब, जहाँ गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 साल बिताए थे, सिख श्रद्धालुओं के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।

इस कॉरिडोर की शुरूआत 2019 में हुई थी, और तब से ही लाखों सिख यात्रियों ने इसका लाभ उठाया। अब, अगले पांच साल के लिए यह कॉरिडोर फिर से चालू रहेगा।

क्या है करतारपुर कॉरिडोर और क्यों है ये इतना खास?

करतारपुर साहिब पाकिस्तान के नरोवाल ज़िले में स्थित है, जो भारत के पंजाब में स्थित डेरा बाबा नानक से महज़ 4 किलोमीटर दूर है। यह कॉरिडोर दोनों देशों के बीच की सीमा को जोड़ता है, जिससे सिख श्रद्धालु बिना किसी वीज़ा के पाकिस्तान के इस ऐतिहासिक स्थल पर जा सकते हैं।

गुरु नानक देव जी ने इस गुरुद्वारे में अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए, और यह सिख धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।

‘20 डॉलर का सवाल’ – पाकिस्तान से फिर से मांग उठी, शुल्क हटाओ!

हालांकि, एक बड़ी समस्या यह है कि पाकिस्तान हर सिख यात्री से $20 की सर्विस चार्ज लेता है। भारत ने इस शुल्क को हटाने की बार-बार मांग की है, लेकिन पाकिस्तान अब तक इसके लिए तैयार नहीं हुआ।

यात्रियों का कहना है कि धार्मिक यात्राओं में इस तरह का चार्ज सही नहीं है। भारत सरकार ने फिर से इस चार्ज को हटाने की मांग की है ताकि श्रद्धालु बिना किसी वित्तीय बाधा के करतारपुर साहिब तक पहुंच सकें।

शांति और धार्मिक सद्भावना का प्रतीक, लेकिन…

करतारपुर कॉरिडोर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह शांति और सद्भावना का प्रतीक है। दो देशों के बीच इतनी राजनीतिक तनातनी के बावजूद, इस धार्मिक स्थल ने हमेशा ही दोनों तरफ के लोगों को एक दूसरे से जोड़े रखा है।

हालांकि, $20 का चार्ज एक बड़ी बाधा बनकर सामने आया है, और इसे हटाने के लिए पाकिस्तान की तरफ से रियायत की उम्मीद की जा रही है।

क्या कहते हैं विदेश मंत्री और सिख समुदाय के नेता?

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर इस एक्सटेंशन को लेकर जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सिख समुदाय को उनके धार्मिक स्थलों तक पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत है और इस कॉरिडोर का एक्सटेंशन इस दिशा में एक और कदम है।

सिख समुदाय के नेता और श्रद्धालु इस फैसले से बेहद खुश हैं। उनका मानना है कि यह कदम सिखों के लिए एक बड़ी राहत है, और इससे उनके धार्मिक स्थलों तक पहुँचने में आसानी होगी।

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‘करतारपुर एक्सप्रेस’ में बुक करें अपनी सीट!

अब जब करतारपुर कॉरिडोर का विस्तार हो गया है, तो सिख यात्री फिर से इस ‘करतारपुर एक्सप्रेस’ में अपनी सीट बुक करने के लिए तैयार हैं। पांच साल का एक्सटेंशन उन्हें गुरु नानक जी के इस पवित्र स्थल तक बिना किसी वीज़ा की परेशानी के ले जाएगा।

हालांकि, $20 के चार्ज को लेकर अभी भी उम्मीदें हैं कि पाकिस्तान इसमें कुछ रियायत देगा, ताकि और भी श्रद्धालु बिना किसी वित्तीय तनाव के इस यात्रा का लाभ उठा सकें।

करतारपुर कॉरिडोर – भक्तों का रास्ता हमेशा खुला रहेगा!

भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक खींचतान के बावजूद, करतारपुर कॉरिडोर ने हमेशा ही एक पुल की भूमिका निभाई है। सिख समुदाय के लिए यह पांच साल का एक्सटेंशन बेहद खास है, क्योंकि इससे वे अपने धार्मिक स्थलों तक बिना किसी कठिनाई के पहुंच सकते हैं।

तो, अपनी धार्मिक यात्रा की तैयारी करें, और गुरुद्वारा दरबार साहिब की ओर अपनी ‘करतारपुर एक्सप्रेस’ में सफर शुरू करें!

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Published by
Subham Sharma