
जैसे-जैसे दिल्ली में दिवाली का त्योहार नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे हवा की गुणवत्ता में गिरावट देखने को मिल रही है। रविवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘खराब’ श्रेणी में 209 पर पहुंच गया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, यह स्थिति और बिगड़ सकती है। इस खराब हवा के पीछे क्या पटाखों का धुआं है या फिर हाल ही में हुए रावण दहन ने हवा में जहर घोल दिया है?
क्या रावण दहन बना कारण?
शनिवार को दशहरा के मौके पर दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में रावण दहन का आयोजन हुआ। इन जलसों के बाद से दिल्ली की वायु गुणवत्ता में तेज गिरावट देखी जा रही है। जगह-जगह रावण के पुतले जलाने से हवा में बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैलने का अनुमान है। क्या इसका असर दिल्ली की हवा पर पड़ा है? विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के उत्सवों से निकलने वाला धुआं हवा में सूक्ष्म कणों की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे AQI में उछाल आता है
पटाखों की तैयारी और प्रदूषण का खतरा
दिल्ली के लोग दिवाली की तैयारियों में जुटे हुए हैं, और पटाखों का उपयोग फिर से चर्चा का विषय बन गया है। हर साल दिवाली पर पटाखों से निकलने वाला धुआं दिल्ली की हवा में घुल जाता है, और इसके बाद AQI ‘बेहद खराब’ और कभी-कभी ‘गंभीर’ श्रेणी में चला जाता है। क्या इस साल भी वही इतिहास दोहराया जाएगा? प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पटाखों के इस्तेमाल पर सख्त नियम लागू किए हैं, लेकिन क्या ये उपाय पर्याप्त होंगे?
क्या कहता है AQI स्केल?
AQI को मापने का एक स्केल होता है, जिसमें 0 से 50 तक की श्रेणी को ‘अच्छा’, 51-100 को ‘संतोषजनक’, 101-200 को ‘मध्यम’, 201-300 को ‘खराब’, 301-400 को ‘बहुत खराब’, और 401-500 को ‘गंभीर’ श्रेणी में रखा जाता है। दिल्ली का AQI अब ‘खराब’ श्रेणी में है और यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो दिवाली के बाद यह ‘गंभीर’ श्रेणी तक पहुंच सकता है।
आपकी राय?
प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए सरकार द्वारा कई उपाय किए जा रहे हैं, लेकिन क्या यह जनता की भागीदारी के बिना संभव है? दिल्ली की हवा को साफ रखने के लिए क्या आपको लगता है कि पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए? क्या रावण दहन जैसे आयोजनों पर पुनर्विचार करना जरूरी है?
दिल्ली के लोग इस बार त्योहार के मौसम में क्या कदम उठाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।