कानपुर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर की 28 वर्षीय पीएचडी छात्रा, प्रगति खरया ने गुरुवार को अपने छात्रावास के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना परिसर के लिए बेहद चिंताजनक है, क्योंकि पिछले एक साल में यह चौथा आत्महत्या का मामला है। पुलिस के अनुसार, प्रगति ने छात्रावास के कमरा नंबर D-116, हॉल नंबर-4 में फांसी लगाई, और इस मामले की जानकारी गुरुवार दोपहर में सामने आई।
छात्रावास में रहने वाले छात्रों ने प्रगति के कमरे का दरवाजा न खुलने पर आईआईटी प्रशासन को सूचित किया। संस्थान ने तुरंत पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर जबरदस्ती कमरे में प्रवेश किया तो प्रगति को पंखे से लटका पाया। इसके बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
आईआईटी कानपुर ने एक बयान में कहा, “प्रगति खरया का निधन संस्थान के लिए गहरा आघात है। वह एक होनहार शोधकर्ता थीं, जिन्होंने दिसंबर 2021 में पीएचडी कार्यक्रम में प्रवेश लिया था। हम उनके परिवार और दोस्तों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं और इस कठिन समय में उन्हें शक्ति प्रदान करने की कामना करते हैं।
पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें प्रगति ने स्पष्ट किया है कि उसने अपनी जान लेने के फैसले के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया। इसके बावजूद, पुलिस फॉरेंसिक जांच के बाद आत्महत्या के पीछे की वजह को उजागर करेगी। प्रगति का मोबाइल फोन भी जब्त किया गया है, जिससे पुलिस को आत्महत्या के कारणों का पता लगाने में मदद मिल सकती है।
प्रगति खरया, कानपुर के सनिगावन की रहने वाली थीं। उनके परिवार का कहना है कि वह पढ़ाई में बेहद होशियार और मेहनती थीं। उनके इस कदम ने सभी को स्तब्ध कर दिया है। प्रगति के परिवार के सदस्य IIT पहुंच चुके हैं और उनका कहना है कि उन्हें कभी भी ऐसा संकेत नहीं मिला था कि प्रगति मानसिक तनाव से जूझ रही हैं।
आईआईटी कानपुर में आत्महत्या का यह चौथा मामला है। इससे पहले जनवरी 2024 में 29 वर्षीय पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल ने आत्महत्या कर ली थी। इसके अलावा, एमटेक छात्र विकास कुमार मीना और पोस्टडॉक्टोरल रिसर्चर पल्लवी चिल्का ने भी पिछले एक साल में आत्महत्या की थी। इन घटनाओं से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में छात्रों पर मानसिक दबाव बहुत ज्यादा हो गया है?
आईआईटी जैसे संस्थानों में पढ़ाई का तनाव और प्रतियोगिता का उच्च स्तर छात्रों पर मानसिक प्रभाव डालता है। हालांकि, संस्थान अपने छात्रों की मानसिक सेहत पर विशेष ध्यान देने का दावा करता है, लेकिन आत्महत्याओं की लगातार बढ़ती घटनाएं इसके विपरीत कुछ और ही बयां करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि छात्रों की मानसिक सेहत को लेकर संस्थानों को और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
पुलिस का कहना है कि प्रगति के आत्महत्या के कारणों का पता लगाने के लिए प्रारंभिक जांच और फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। पुलिस यह सुनिश्चित करेगी कि आत्महत्या के पीछे कोई गुप्त कारण तो नहीं था, और छात्रावास में लगे सीसीटीवी कैमरों की भी जांच की जा रही है।