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भगवान कृष्ण की 16108 पत्नियाँ: क्या है इसके पीछे छिपा रहस्य और आध्यात्मिक संदेश?

Shri Krishna wives
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भगवान श्रीकृष्ण की 16,108 पत्नियों की कथा न केवल उनकी लीलाओं का एक रोचक पहलू है, बल्कि इसके पीछे छिपे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेश भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह कथा अक्सर जिज्ञासा और विवाद का विषय बनती रही है। आइए, इस कथा को विस्तार से समझें और जानें कि इसके पीछे क्या रहस्य छुपा हुआ है।

कौन थीं श्रीकृष्ण की 16,108 पत्नियाँ?

भगवान श्रीकृष्ण की कुल 16,108 पत्नियाँ थीं, जिनमें से आठ प्रमुख थीं, जिन्हें ‘अष्टभार्या’ कहा जाता है। ये आठ पत्नियाँ थीं:

  • रुक्मिणी: रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। वह श्रीकृष्ण की पहली और सबसे प्रिय पत्नी मानी जाती थीं। रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को एक पत्र भेजकर उन्हें अपने हृदय की बात बताई थी, जिसके बाद श्रीकृष्ण ने उनका हरण कर उनसे विवाह किया।
  • जाम्बवती: जाम्बवती भालू राजा जाम्बवान की पुत्री थीं। स्यमंतक मणि के विवाद के बाद श्रीकृष्ण ने जाम्बवती से विवाह किया।
  • सत्यभामा: सत्यभामा सत्राजित की पुत्री थीं और वह अपने साहस और दृढ़ता के लिए जानी जाती थीं। स्यमंतक मणि की कथा में सत्यभामा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
  • कालिंदी: कालिंदी सूर्य देव की पुत्री थीं। वह यमुना नदी के तट पर तपस्या कर रही थीं कि श्रीकृष्ण ने उनसे विवाह किया।
  • मित्रविंदा: मित्रविंदा अवंति के राजा की राजकुमारी थीं। उन्होंने स्वयंवर में श्रीकृष्ण को वरमाला पहनाई।
  • सत्या: सत्या कोसल के राजा नग्नजित की पुत्री थीं। उनके पिता ने शर्त रखी थी कि जो भी सात बैलों को वश में करेगा, वही उनकी पुत्री से विवाह कर सकेगा। श्रीकृष्ण ने यह चुनौती स्वीकार की और सत्या से विवाह किया।
  • भद्रा: भद्रा श्रीकृष्ण की चचेरी बहन थीं। उनका विवाह पारिवारिक संबंधों के माध्यम से हुआ था।
  • लक्ष्मणा: लक्ष्मणा मद्र देश की राजकुमारी थीं। उन्होंने भी अपने स्वयंवर में श्रीकृष्ण को चुना।

16,100 अन्य पत्नियों का रहस्य

अब आते हैं उन 16,100 पत्नियों की कथा पर जो अक्सर लोगों को चौंका देती है। यह कहानी नरकासुर नामक दैत्य से जुड़ी है। नरकासुर ने 16,100 कन्याओं का अपहरण कर उन्हें अपने महल में बंदी बना लिया था। जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया, तो उन्होंने इन कन्याओं को स्वतंत्र कराया।

परंतु समस्या यह थी कि इन कन्याओं को समाज में स्वीकार्यता नहीं मिल रही थी। उस समय के समाज में, जिन्हें किसी राक्षस द्वारा बंदी बनाया जाता, उन्हें अपवित्र माना जाता था। इन कन्याओं ने श्रीकृष्ण से सहायता की याचना की और कहा कि अब वे कहीं और नहीं जा सकतीं।

तो श्रीकृष्ण ने क्या किया?

श्रीकृष्ण ने उन 16,100 कन्याओं से विवाह कर लिया, ताकि समाज उन्हें अपमानित न करे और वे सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें। यह विवाह केवल समाज को एक संदेश देने के लिए था और इनसे श्रीकृष्ण का कोई व्यक्तिगत मोह नहीं था। यह उनकी करुणा और धर्म की रक्षा का प्रतीक था।

आध्यात्मिक संदेश: प्रेम और करुणा का प्रतीक

भगवान श्रीकृष्ण की इन पत्नियों की कथा का आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। यह प्रतीकात्मक रूप से आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतिनिधित्व करती है। भगवान श्रीकृष्ण हर आत्मा से जुड़ने वाले ईश्वर हैं, जो हर जीवात्मा को अपनाते हैं, चाहे उनकी संख्या कितनी भी हो।

यह कथा यह भी सिखाती है कि सच्चा प्रेम और करुणा वह होती है, जिसमें अपने स्वार्थ का कोई स्थान नहीं होता। श्रीकृष्ण ने न केवल उन कन्याओं को सम्मानित जीवन दिया, बल्कि समाज को यह भी सिखाया कि नारी का सम्मान सबसे ऊपर है।

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सांस्कृतिक महत्व: नारी सम्मान का प्रतीक

इस कथा का एक अन्य महत्वपूर्ण संदेश नारी सम्मान है। भगवान श्रीकृष्ण ने यह संदेश दिया कि समाज को हर नारी को सम्मान और सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए। यह आज के समय में भी प्रासंगिक है, जब हमें समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान बढ़ाने की आवश्यकता है।

क्या कहते हैं धार्मिक विद्वान?

धार्मिक विद्वान इस कथा को कई दृष्टिकोणों से देखते हैं। कुछ इसे भगवान की लीला मानते हैं, जबकि अन्य इसे समाज सुधार की एक कोशिश के रूप में देखते हैं।

एक धार्मिक गुरु के अनुसार, “श्रीकृष्ण का हर कार्य प्रेम और करुणा से प्रेरित होता है। 16,100 कन्याओं से विवाह का निर्णय यह दर्शाता है कि भगवान किसी के प्रति पक्षपाती नहीं हैं।”

प्रेम, करुणा और धर्म की रक्षा का प्रतीक

भगवान श्रीकृष्ण की 16,108 पत्नियों की कथा केवल एक पौराणिक घटना नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपे गहरे संदेश हमें सिखाते हैं कि सच्चा प्रेम, करुणा और नारी सम्मान किसी भी समाज की नींव होनी चाहिए। यह कथा आज भी प्रासंगिक है और हमें एक संवेदनशील, सम्मानजनक और न्यायप्रिय समाज बनाने के लिए प्रेरित करती है।

तो अगली बार जब कोई आपसे इस कथा के बारे में पूछे, तो आप गर्व से बता सकते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएँ केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि गहरी शिक्षाएँ भी देती हैं।

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Published by
Subham Sharma