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भाई दूज: क्यों मनाते हैं दीवाली के बाद ये खास त्योहार?

Bhai Dooj
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भाई दूज (Bhai Dooj) का त्योहार भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है और यह दीवाली के बाद मनाया जाता है। जहां राखी पर भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है, वहीं भाई दूज पर बहन अपने भाई की लंबी आयु और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है। यह पर्व कई पौराणिक कथाओं और परंपराओं से जुड़ा हुआ है, जो इसे और भी खास बनाते हैं। आइए जानते हैं, भाई दूज के पीछे छुपी पौराणिक कहानियां और इसके धार्मिक महत्त्व को।

क्यों दीवाली के बाद मनाते हैं भाई दूज?

भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के बीच स्नेह और विश्वास का प्रतीक है। यह दिन भाई-बहन के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है। इस पर्व के दौरान बहनें अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों को उपहार देकर उनका आभार प्रकट करते हैं।

यमराज और यमुना की पौराणिक कथा

भाई दूज की सबसे प्रमुख कथा यमराज और यमुना से जुड़ी है। मान्यता है कि यमराज, जो मृत्यु के देवता हैं, अपनी बहन यमुना से बहुत समय से नहीं मिले थे। एक दिन यमराज अपनी बहन से मिलने आए, और यमुना ने उनका स्वागत करते हुए उन्हें आरती उतारी और मिठाई खिलाई। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन को आशीर्वाद दिया और कहा कि जो भाई अपनी बहन से इस दिन टीका कराएगा, उसे मृत्यु का भय नहीं होगा। इस कारण इस पर्व को ‘यम द्वितीया’ भी कहा जाता है।

भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कथा

एक और प्रसिद्ध कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण ने जब नरकासुर राक्षस का वध किया, तो वे अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए। सुभद्रा ने उनका स्वागत फूलों और आरती से किया और उनके माथे पर टीका लगाया। इस घटना से प्रेरित होकर भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।

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भाई दूज और दीवाली के बाद इसका महत्व

भाई दूज का त्योहार दीवाली के पांचवें दिन मनाया जाता है, और यह पूरे भारत में बहन-भाई के स्नेह और आदर का प्रतीक है। दीवाली की उत्सवधर्मिता के बाद, भाई दूज परिवारों को फिर से एक साथ जोड़ने का अवसर देता है। इस दिन की परंपराएँ हमें परिवार के महत्त्व और भाई-बहन के बंधन की याद दिलाती हैं। बहनें अपने भाई की सुरक्षा और दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं, और भाई अपने जीवन में उनकी उपस्थिति को सराहते हैं।

भाई दूज की परंपराएँ और रीति-रिवाज

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाती हैं, जिसमें चावल और कुमकुम का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद भाई की आरती उतारी जाती है, और उन्हें मिठाई खिलाई जाती है। इसके बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और जीवन भर उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाना है।

आधुनिक समय में भाई दूज की प्रासंगिकता

आज के समय में, जब परिवार दूर-दूर बसते हैं, भाई दूज का महत्व और भी बढ़ गया है। यह त्योहार परिवारों को फिर से जोड़ने का अवसर देता है और भाई-बहन के रिश्ते को सुदृढ़ बनाता है। चाहे व्यक्तिगत रूप से मिले या वीडियो कॉल के माध्यम से, भाई दूज की भावना हर परिवार में जिंदा रहती है। इस पर्व पर दीवाली की खुशियों को आगे बढ़ाते हुए, भाई-बहन अपने रिश्ते को और मजबूत बनाते हैं।

भाई दूज का त्योहार केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भाई-बहन के अटूट बंधन का प्रतीक है। यमराज और यमुना की कथा से लेकर भगवान कृष्ण और सुभद्रा तक, इस पर्व की पौराणिक कहानियाँ हमें सिखाती हैं कि भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम, आदर और सुरक्षा का कितना महत्त्व है। इस भाई दूज पर, आप भी अपने भाई-बहन के साथ इस खास बंधन को मनाएं और उन्हें जीवन भर की खुशियों का आशीर्वाद दें।

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Published by
Subham Sharma