हम सबने कभी ना कभी ये सुना है: “अगर आपकी दोस्ती 7 साल से ज़्यादा पुरानी है, तो वो ज़िंदगीभर चलेगी।” लेकिन क्या ये महज़ एक कहावत है या इसके पीछे वैज्ञानिक आधार भी है? आइए विस्तार से जानते हैं।
🔬 वैज्ञानिक दृष्टिकोण: Gerald Mollenhorst का शोध
डच समाजशास्त्री गेराल्ड मोल्लेनहॉर्स्ट (Gerald Mollenhorst) ने Utrecht University में एक रिसर्च की जिसमें यह निष्कर्ष निकला:
- लोग औसतन हर 7 साल में अपने आधे दोस्तों को खो देते हैं।
- परिस्थितियों में बदलाव जैसे नौकरी, स्थान या वैवाहिक स्थिति दोस्ती को प्रभावित करते हैं।
- जो दोस्त 7 साल से ज़्यादा साथ रहते हैं, वे अधिक स्थायी होते हैं।
🧠 मनोविज्ञान क्या कहता है दोस्ती के बारे में?
University of Kansas के प्रोफेसर Jeffrey Hall के अनुसार:
- करीबी दोस्त बनने के लिए लगभग 300 घंटे एक साथ बिताने पड़ते हैं।
- जितना समय आप किसी के साथ बिताते हैं, जुड़ाव उतना गहरा होता है।
🧡 सच्ची दोस्ती की वैज्ञानिक विशेषताएं
- समान सोच और रुचियां: मिलते-जुलते मूल्य रिश्ते को मजबूत बनाते हैं।
- संवेदना (Empathy): एक-दूसरे की भावनाओं को बिना कहे समझना।
- नियमित संचार: बात करते रहना, चाहे वर्चुअल ही क्यों ना हो।
- विश्वास और ईमानदारी: रिश्ते को गहराई देते हैं।
- समय का निवेश: 300 घंटे की नज़दीकी से दोस्ती में स्थायित्व आता है।
⚠️ कब कमज़ोर होती है दोस्ती?
कई बार नीचे दी गई स्थितियों में रिश्ते ढीले पड़ जाते हैं:
- दूरी या भौगोलिक बदलाव
- नई प्राथमिकताएं
- बातचीत का अभाव
पर Barash & Lipton के अनुसार: “Frequent interaction, even virtually, maintains emotional closeness.”
📞 क्या किसी पुराने दोस्त की याद आ रही है?
उसे आज ही कॉल करें या मैसेज भेजें: “तेरी बहुत याद आ रही है यार, तू कैसा है?”
साइंस कहता है – एक छोटा सा कदम भी दोस्ती को फिर से जीवित कर सकता है।
🔚 निष्कर्ष: दोस्ती की उम्र नहीं, गहराई मायने रखती है
7 साल वाला नियम महज आंकड़ा नहीं, बल्कि ये दिखाता है कि आप एक सच्चे और स्थायी रिश्ते में हैं।
“सच्चे दोस्त ना तो वक्त देखते हैं, ना दूरी – बस दिल से जुड़े रहते हैं।”
इस लेख को अपने खास दोस्त के साथ ज़रूर शेयर करें और उन्हें बताएं कि वे आपके लिए कितने अनमोल हैं।